Li Keqiang Death: चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली केचांग का शुक्रवार (27 अक्टूबर) की रात को दिल के दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया. चीनी मीडिया सीसीटीवी ने शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक शोक नोटिस के हवाले से बताया है कि तमाम कोशिशों के बाद भी ली को बचाया नहीं जा सका. रात 12 बजकर 10 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली.


ली केचांग को चीन की राजनीति में बड़ा चेहरा माना जाता रहा है, एक वक्त पर उन्हें चीन के भावी राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाने लगा था. लेकिन शी जिनपिंग ने उन्हें राजनातिक पटखनी देते हुए राष्ट्रपति पद पर काबिज हो गए. इसी साल मार्च में उन्हें चीन के प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया था. उनके लिए माना जाता है वे शी जिनपिंग के नक्श-ए-कदम पर चलने से कतराते थे. इस वजह से ही उन्हें चीन के आला पदों और नेतृत्व से अलग कर दिया गया. 


क्या ली केचांग की मौत से शी जिनपिंग को खतरा?


चीन के अतीत में ऐसी कई घटनाएं घटी हैं जिसे लेकर चीन सरकार में डर का माहौल है. साल 1989 में तियामेनन स्क्वायर में कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता हु याओबांग की मौत के बाद प्रदर्शनों के बीच कई छात्रों को टैंक से कुचल दिया गया था.


इसके अलावा माओ की मौत के बाद जिस तरह से चीन को राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा था. फिलहाल चीन में वीपीएन के इस्तेमाल पर रोक है. चीनी सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकि वह ली केचांग की प्रति लोगों की सहानुभुति को दबा सके. ली केचांग चीन के एकमात्र शीर्ष के नेता थे जो शी जिनपिंग के तौर-तरीकों से उलट चलते थे. कहा जाता है कि उनकी छवि एक स्मार्ट राजनेता की थी. 


ली केचांग की आर्थिक मामलों पर बहुत अच्छी पकड़ थी. कार्निगी चाइना में नॉन रेजिडेंट स्कॉलर के इयान चोंग ने बीबीसी से कहा, "ली केचांग आर्थिक सुधार के पक्ष में रहने वाले इंसान थे. उन्हें विचारधारा या वफादारी को तरजीह देने वाले इंसान के बजाय एक टेक्नोक्रैट के तौर पर याद किया जाएगा."


माना जाता है कि उनकी आर्थिक नीतियों में गरीब और अमीर में फर्क मिटाने पर जोर दिया जाता था.उनकी नीतियों को लीकोनॉमिक्स कहा जाता था. 


ये भी पढ़ें:


Qatar-India Navy Conflict: कतर और भारत में किसकी सेना ज्यादा ताकतवर ? जानें