बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को तमिलनाडु के मामल्लापुरम में मुलाकात की. दो शीर्ष नेताओं की मुलाकात के बाद चीन ने कहा है कि हम जमीन विवाद समेत सभी विवादित मुद्दों को संवाद के जरिये हल करने की कोशिश करेंगे.
शनिवार को सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों नेताओं ने चीन-भारत संबंधों पर गहराई से विचारों का आदान-प्रदान किया और राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमें एक दूसरे के मूल हितों से जुड़े मुद्दों को बड़ी सावधानी से लेना चाहिए. हमें उन समस्याओं का उपयुक्त ढंग से प्रबंधन और नियंत्रण करना चाहिए, जिन्हें फिलहाल सुलझाया नहीं जा सकता.’’
शी ने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच मतभेदों को सही तरीके से देखा जाना चाहिए. हमें उसे द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण हितों को कमजोर नहीं करने देना चाहिए. साथ ही, हमें संवाद के माध्यम से आपसी समझ बनाने की कोशिश करनी चाहिए और लगतार मतभेदों को सुलझाना चाहिए.’’
अगले कुछ सालों को दोनों देशों के लिए अहम बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ दोनों देशों को दोस्ताना सहयोग के उज्ज्वल मार्ग पर जाना चाहिए और दोनों ऐसा कर सकते हैं.’’ 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा विवाद के संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार हमें सीमा मुद्दे का निष्पक्ष और तार्किक समाधान खोजना चाहिए, जो दोनों पक्षों को मंजूर हो.’’
शिन्हुआ के अनुसार दोनों नेताओं ने दोस्ताना और सहज माहौल में साझा हित के बड़े अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की. शी ने कहा कि पिछले साल वुहान में मोदी के साथ अपनी सफल बैठक के बाद चीन-भारत संबंध ने मजबूत एवं स्थिर विकास के नये चरण में कदम रखा है और इस बैठक के सकारात्मक प्रभाव लगातार उभरकर सामने आ रहे हैं.
शिन्हुआ ने शी के हवाले से कहा,‘‘ प्रथम, हमें एक दूसरे के विकास का सही अवलोकन करना चाहिए और रणनीतिक परस्पर विश्वास बढ़ाना चाहिए.’’ शी ने कहा, ‘‘ भले ही कोई भी दृष्टिकोण हो, लेकिन चीन और भारत को अच्छा पड़ोसी और साझेदार होना चाहिए, जो सद्भाव के साथ रहें और हाथ में हाथ डालकर आगे बढ़े.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ड्रैगन (चीन का प्रतीक) और हाथी (भारत का प्रतीक) का उल्लास मनाना ही चीन और भारत का एक मात्र सही विकल्प है, जो दोनों देशों और उनके लोगों के मौलिक हित में है.’’
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