गलवान हिंसा के 8 महीने बाद चीन ने दुनिया के सामने स्वीकार की सैनिकों के मारे जाने की सच्चाई, जारी किया Video
चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यह स्वीकार किया कि पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके चार सैन्यकर्मियों की मौत हुई थी.इनमें से एक जवान की मौत तब हुई जब वह अन्य को मदद देने के लिए नदी पार कर रहा था.
गलवान में खूनी हिंसा के करीब आठ महीने बाद चीन ने आधिकारिक तौर पर यह माना कि उसके सैनिक भी मारे गए थे. अब तक वह इस सच्चाई को दुनिया से छिपाता रहा था. लेकिन, वह उल्टा इस हिंसा के लिए वीडियो जारी करते हुए भारत को ही कसूरवार ठहरा दिया है. चीन की सरकारी मीडिया की तरफ से जारी किए गए इस वीडियो के जरिए वह यह दिखाना चाहता है कि भारत ने गलवान नदी में अस्थाई तौर पर पुल बनाने की कोशिश की थी, जिसकी वजह से ही 15-16 जून को खूनी झड़प हुई थी.
चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तरफ से भारतीय सेना के ऊपर ही एलएसी पार करने का उल्टा आरोप लगाया गया है. चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल रेन गुओक्यांग ने भारत पर सच्चाई को तोड़-मरोड़कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बरगलाने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही, चीन की तरफ से गलवान हिंसा को लेकर वहां के सरकार भोंपू अखबार ग्लोबल टाइम्स पर एक वीडियो जारी किया गया है.
चीन ने पहली बार स्वीकार की सच्चाई
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीनी रक्षा मंत्रालय क प्रवक्ता रेन ने शुक्रवार को कहा, “हमें यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि गलवान हिंसा के लिए भारत जिम्मेदार है क्योंकि उसने पिछले साल जून में अवैध तरीके से एलएसी को पार किया था, हिंसा की शुरुआत की थी और चीनी सैनिकों पर हमले किए थे, जिसकी वजह से दोनों तरह ये हताहत हुआ.” यह पहला मौका है जब चीन ने यह स्वीकार किया है कि गलवान में उसके सैन्यकर्मी मारे गए थे. रिपोर्ट में उनके बारे में विस्तार से जानकारी भी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से चार सैन्यकर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में भारत की सेना का सामना करते हुए मारे गए.
An on-site video reveals in detail the four #PLA martyrs and other brave Chinese soldiers at the scene of the Galwan Valley border clash with India in June 2020. https://t.co/hSjP3hBnqr pic.twitter.com/g6zNpT1IrX
— Global Times (@globaltimesnews) February 19, 2021
पिछले साल जून में हुई थी हिंस झड़प
चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यह स्वीकार किया कि पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके चार सैन्यकर्मियों की मौत हुई थी. इनमें से एक जवान की मौत तब हुई जब वह अन्य को मदद देने के लिए नदी पार कर रहा था. चीन की सेना के आधिकारिक अखबार ‘पीएलए डेली’ की शुक्रवार की एक खबर के मुताबिक, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना (सीएमसी) ने पांच सैन्यकर्मियों को याद किया और उन्हें विभिन्न उपाधियों से नवाजा जो काराकोरम पहाड़ियों पर तैनात थे और जून 2020 में गलवान घाटी में भारत के साथ सीमा पर संघर्ष में मारे गए थे.
‘ग्लोबल टाइम्स’ ने ‘पीएलए डेली’ की खबर के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति शी चिनपिंग के नेतृत्व वाली पीएलए की सर्वोच्च इकाई सीएमसी ने क्वी फबाओ को ‘‘सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजिमेंटल कमांडर’’ की उपाधि दी है. चेन होंगजुन को ‘‘सीमा की रक्षा करने वाला नायक’’ तथा चेन शियानग्रांग, शियो सियुआन और वांग झुओरान को ‘‘प्रथम श्रेणी की उत्कृष्टता’’ से सम्मानित किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक पीएलए के 3 जवान संघर्ष में मारे गए जबकि एक अन्य जवान की तब मौत हो गई जब वह अपने साथियों की मदद करने के लिए नदी पार कर रहा था. फबाओ को सिर पर गंभीर चोट आई थी. भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले साल 5 मई से बनने शुरू हुए थे जिसके बाद पैंगोंग झील क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों तथा भारी हथियार एवं युद्ध सामग्री की तैनाती की थी.
गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे. कई दशकों में भारत-चीन सीमा पर हुआ यह सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था. चीन के जवानों ने पत्थर, कीलें लगे डंडे, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमले किए थे. भारतीय जवानों ने गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र की ओर चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाने का विरोध किया था.
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