चीन ने दिखाई 'अदृश्य हत्यारे' की झलक, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ गई टेंशन!
Chinese Fighter Jet : चीनी सेना दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक का प्रदर्शन करती है. जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण 2011 के जनवरी मे चेंगदू के J-20 स्टील्थ फाइटर की पहली तस्वीरों को ऑनलाइन जारी करना था.
China Fighter Jet Demonstration : चीन की विमान निर्माण करने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार (26 दिसंबर) को 24 घंटे से भी कम समय में दो स्टील्थ (रडार से छुपने वाले) फाइटर जेट के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए. इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग थे. अब सोशल मीडिया में इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि ये चीन की छठी पीढ़ी के फाइटर जेट हो सकते हैं. चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग फाइटर जेट डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि चीन की सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी महीने में अपनी नई तकनीक का प्रदर्शन करती है. जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण साल 2011 के जनवरी महीने में चेंगदू के J-20 स्टील्थ फाइटर की पहली तस्वीरों को ऑनलाइन जारी करना था. जो आज 13 सालों के बाद PLA वायुसेना में सैकड़ों की संख्या में सक्रिय रूप से सेवा में हो सकते हैं.
एक ही समय पर दिखे दो अलग फाइटर जेट
गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग डिजाइन के मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया है. इस चेंगदू मॉडल के साथ एक जे-20 एस्कॉर्ट था और दोनों नए मॉडल बिना पूंछ वाले डेल्टा आकार के हैं. उनके पंख और सभी नियंत्रण सतहें एक ही सीधी रेखा में होती है. इससे फाइटर जेट के रडार सिग्नेचर को कम किया जा सकता है, लेकिन एयरोडायनेमिक्स कठिन हो जाते हैं.
JUST IN - China has reportedly revealed world’s first 6th-generation 'stealthy' fighter jet pic.twitter.com/Uf1gAHf4Hw
— Insider Paper (@TheInsiderPaper) December 26, 2024
चीन का फाइटर जेट यूएस-भारत के लिए हो सकता है खतरा
चीन की वायुसेना एक स्टील्थ फाइटर जेट को हासिल करने के लिए प्रयास में लगी हुई है. जो कि अमेरिका और भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है. इसी बीच गुरुवार (26 दिसंबर) को सोशल मीडिया पर जारी किया गया विमानों का वीडियो एक मार्केटिंग स्ट्रैटजी भी मानी जा रही है.
हालांकि चीन के ये डिजाइन सिर्फ कागजों पर रहेंगे या चीनी वायुसेना में शामिल होगी, यह तो इस बात पर निर्भर करता है कि चीन इस लेकर कितनी मेहनत करता है और इन प्रोजेक्ट के लिए कितने अरब डॉलर का निवेश करने को तैयार है.
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