America: इस साल की शुरुआत से ही चीन का जासूसी गुब्बारा सुर्खियों में है. जासूसी गुब्बारे के बाद से ही अमेरिका और चीन आमने सामने हैं. बता दें कि जनवरी में अमेरिका के कई राज्यों में चीन का जासूसी गुब्बारा नजर आया था. अब दावा किया जा रहा है कि इस गुब्बारे के जारिए चीन अमेरिकी मिलिट्री बेसेज से इंटेलीजेंस को जुटाने में सफल रहा था.
वहीं, अमेरिकी प्रशासन की इस जासूसी गुब्बारे को रोकने की तमाम कोशिशें नाकामयाब रह गईं. ‘एनबीसी न्यूज’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन गुब्बारे को नियंत्रित करने में सक्षम था, ताकि यह एकत्र की गई जानकारी को वास्तविक समय (रियल-टाइम) पर बीजिंग भेज सके. रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि चीन ने जो खुफिया जानकारी एकत्र की, वह ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक संकेतों से प्राप्त की गई थी.
बाइडेन प्रशासन की सतर्कता से बची जानकारी
इसके साथ ही रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन और भी खुफिया जानकारी प्राप्त कर सकता था, लेकिन बाइडेन प्रशासन की सतर्कता के कारण ऐसा नहीं हो पाया. अगर बाइडेन प्रशासन अलर्ट मोड पर नहीं आया होता तो चीन संवेदनशील और साइटों से बहुत अधिक खुफिया जानकारी एकत्र कर सकता था.
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार चीन का जासूसी गुब्बारा सबसे पहले 28 जनवरी को अलास्का से अमेरिकी हवाई क्षेत्र में घुसा था. अगले चार दिनों में इसने मोंटाना में माल्मस्ट्रॉम वायुसेना अड्डे के ऊपर उड़ान भरी थी, जहां अमेरिका की अपनी परमाणु हथियार रखे हैं.
चीन दे चुका है सफाई
चीन इस मामले पर पहले ही सफाई दे चुका है. चाीन के अनुसार, गुब्बारा सिविलियन एयरशिप है, जो रास्ता भटक गया था. गुब्बारे का इस्तेमाल शोध के लिए किया गया था. हालांकि इस सफाई से अमेरिका बिल्कुल भी सन्तुष्ट नहीं था.
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