Citizenship Amendment Act: संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और अमेरिका द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर चिंता जाहिर की गई है. बीते मंगलवार (12 मार्च 2024) को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सीएए को भेदभावपूर्ण बताया गया है, जबकि अमेरिका का कहना है कि वह इस मामले पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. रायटर्स के साथ हुई खास बातचीत के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, ''हम 11 मार्च को जारी किए गए सीएए की अधिसूचना को लेकर परेशान हैं. पूरे मामले को लेकर हम गहनता से विश्लेषण कर रहे हैं कि वहां इसे कैसे लागू किया जाएगा.''
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने आगे कहा कि, ''धार्मिक आजादी को सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार लागू करना मूलभूत लोकतांत्रित सिद्धांत हैं."
यही नहीं भारत में लागू किए गए सीएए कानून की मानवाधिकार कार्यकर्ता और उनसे जुडी संस्थाएं भी अपना निशाना बना रही हैं. ह्यूमन राइट वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सीएए को मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव के रूप में दिखाया है.
बता दें भारत की मौजूदा सरकार ने 2019 में सीएए को संसद में पेश किया था. इस दौरान इसे दोनों सदनों में कामयाबी मिली. हालांकि, उस दौरान कई जगहों पर हिंसक झड़प भी देखने को मिली थी. इसके बावजूद सरकार अपने फैसले पर अडिग रही.
ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि लोकसभा चुनाव से पूर्व देश में सीएए कानून को लागू किया जा सकता है. ठीक वैसा ही हुआ है. भारत में जल्द ही लोकसभा का चुनाव होने वाला है. उससे कुछ माह पूर्व बीते 11 मार्च को केंद्र सरकार ने कानून को लेकर अपनी अधिसूचना जारी की है.
नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों को छोड़कर हिंदू और सिखों समेत अन्य धर्मों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.