पिछले चार दिनों से सूडान में संघर्ष जारी है. सूडान के अर्धसैनिक बल 'रैपिड सपोर्ट फोर्स' यानी आरएसएफ और वहां की सेना आमने-सामने हैं. दोनों पक्ष सूडान की राजधानी खार्तूम के अलग-अलग हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित करने का दावा कर रहे हैं. ये जंग सूडान की राजधानी खार्तूम से शुरू होकर देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल रही है. इस संघर्ष में अभी तक 270 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई है. वहीं 2600 से ज्यादा लोगों के घायल होने का अनुमान है.
हालांकि, डॉक्टरों के एक संगठन का दावा है कि इस संघर्ष में अब तक 100 लोगों की मौत हुई है. दो सेनाओं की आपसी जंग में 31 भारतीय भी फंसे हुए हैं. ये लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं. खबरों के मुताबिक अब तक एक भारतीय की जान भी जा चुकी है. वहां की स्थिति को देखते हुए भारत सरकार सूडान में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कई देशों से संपर्क करने में जुटी है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सऊदी अरब और यूएई ने जमीनी स्तर पर भारत को अपना समर्थन देने आश्वासन दिया है.
अब तक आई रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में फंसे ये 31 भारतीय कर्नाटक के हक्की-पिक्की आदिवासी समुदाय के हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने मंगलवार को केंद्र सरकार से इन लोगों को वापस लाने की मांग की , जबकि राज्य सरकार ने कहा कि उसने केंद्र सरकार को पूरे मामले से अवगत करा दिया है.
इस बीच कर्नाटक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) ने कहा है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय को सूचित कर दिया है और बचाव प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सूडान में भारतीय दूतावास के साथ बातचीत कर रहे हैं.
सूडान में फंसे भारतीयों के लिए भारतीय दूतावास ने जारी किए परामर्श
भारतीय दूतावास ने शनिवार को गोलीबारी और झड़पों को देखते हुए सूडान में रह रहे सभी भारतीयों को अपने-अपने घरों के अंदर रहने की सलाह दी थी. दूतावास ने ट्वीट कर लोगों से अत्यधिक सावधानी बरतने, घर से बाहर न निकलने की अपील की थी.
इस एडवाइजरी में सूडान जाने वाले भारतीयों से अपील की गई थी कि वे अपनी यात्रा फिलहाल स्थगित कर दें और अगली सूचना का इंतज़ार करें.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि सूडान में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर जानकारी और सहायता प्रदान करने के लिए मंत्रालय में एक 24X7 सेवा स्थापित की गई है. हेल्पलाइन नंबर 1800118797, +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905, +91 9968291988 हैं.
खार्तूम में हालात बदतर
खार्तूम की स्थानीय निवासी हुदा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि हम डरे हुए हैं. पिछले 24 घंटों से धमाकों की आवाजों और घर हिलने की वजह हम सो नहीं पाए हैं. हमें अब पानी, खाना और मेरे डायबिटीज रोगी पिता की दवाई खत्म होने की चिंता सता रही है.
क्या है मामला
राजधानी खार्तूम में पिछले दिनों सूडान की सेना और उनके प्रतिद्वंद्वी रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के बीच राष्ट्रपति भवन, सरकारी टीवी और सेना मुख्यालय को लेकर लड़ाई हुई. इसमें कई नागरिक गोलियों के शिकार हो गए. मीडिया रिपोर्ट ये भी बताती हैं कि इस लड़ाई में सेना के भी कई लोग मारे गए हैं.
सूडान के पश्चिम में स्थित काबकाबिया सैन्य अड्डे पर हुई गोलीबारी में संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के तीन कर्मचारियों के भी मारे जाने की खबर आई है. उसके बाद WFP ने देश में अपना काम रोकने का एलान कर दिया था.
बता दें कि सूडान की सेना और उनके प्रतिद्वंद्वी रैपिड सपोर्ट फोर्सेज, दोनों ने खार्तूम के एयरपोर्ट और शहर के कई अहम ठिकानों पर नियंत्रण होने का दावा किया था. इन जगहों पर रात भर दोनों पक्षों के बीच लड़ाई होती रही थी.
खार्तूम और उसके पास के शहर ओमदुरमैन से रविवार की सुबह भारी गोलीबारी होने की खबर आई. रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि लाल सागर के किनारे स्थित पोर्ट सूडान शहर में भी गोलीबारी हुई है. शनिवार को उत्तरी शहर मेरोवे में गोलीबारी हुई थी. इस हफ्ते तनाव बढ़ने पर आरएसएफ ने गुरुवार को मेरोवे के सैन्य अड्डे के पास अपना घेरा डाला था.
सेना ने कहा है कि लड़ाकू विमानों ने आरएसएफ के ठिकानों पर बमबारी की है. वहीं एयरफोर्स ने शनिवार रात नागरिकों से कहा था कि वे अपने घरों में ही रहें. उन्होंने बताया था कि वे अर्धसैनिक बलों की पूरी गतिविधि का हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं.
कैसे शुरू हुआ यह संघर्ष?
अक्टूबर 2021 में सूडान में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार और सेना के बीच लगातार टकराव होता रहा है. तख्तापलट के बाद से शुरू हुआ यह संघर्ष अब तक जारी है.
बता दें कि सूडान की सत्ता सॉवरेन काउंसिल के जरिए सेना ही चला रही है. इसके प्रमुख सेना के जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान हैं. सूडान की सेना जनरल अल बुरहान की समर्थक है. वहीं देश के दूसरे नंबर के नेता मोहम्मद हमदान डगालो हैं, जो आरएसएफ प्रमुख भी हैं. दोनों में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं है. सूडान में अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) को सेना में मिलाने की योजना है, जिसे लेकर सालों से विवाद चल रहा है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएफ प्रमुख ने कहा है कि उनकी लड़ाई सेना के सभी ठिकानों पर कब्जा होने तक जारी रहेगी. वहीं सेना ने बातचीत की किसी संभावना को नकारते हुए कहा है कि अर्धसैनिक बल आरएसएफ के भंग होने तक उनकी कार्रवाई जारी रहेगी.
इससे पहले जनरल बुरहान ये कह चुके हैं कि प्रस्तावित नागरिक सरकार में एकीकृत सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस विवाद को सुलझाने के लिए वे अपने 'सेकेंड इन कमांड' से बात करने को तैयार हैं. शुक्रवार को ऐसे संकेत मिले थे कि दोनों पक्षों के बीच का तनाव सुलझ जाएगा, लेकिन ये अब और बढ़ता हुआ मालूम पड़ रहा है.
जनरल डगालो का कहना है कि 2021 का तख्तापलट एक गलती थी और वो (बुरहान) खुद को जनता के साथ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, जनरल बुरहान का कहना है कि वो सिर्फ चुनी हुई सरकार को ही सत्ता सौंपेंगे. हालांकि, दोनों के समर्थकों को इस बात का डर है कि अगर उन्हें पद से हटा दिया तो आगे क्या असर पड़ेगा.
अब आगे क्या?
सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच हो रहे संघर्ष ने सूडान के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिया है. जंग कब खत्म होगी, इसका कोई जवाब नहीं है. सेना ने साफ कर दिया है कि जब तक पैरामिलिट्री फोर्स को भंग नहीं किया जाता, तब तक आरएसएफ के साथ कोई बातचीत नहीं होगी. साथ ही सेना ने आरएसएफ के साथ काम कर रहे अपने सैनिकों को वापस लौटने के आदेश भी दिए हैं. वहीं, आरएसएफ के प्रमुख जनरल डगालो ने जनगर बुरहान को 'अपराधी' और 'झूठा' बताया है.
सूडान में पहले भी मारे जा चुके हैं भारतीय
साल 2019 में सूडान की राजधानी खार्तूम में एक सेरेमिक फैक्टरी में एलपीजी सिलेंडर ब्लास्ट हुआ था. इस हादसे में कम से कम कम 23 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 130 लोग घायल भी हुए थे. बता दें कि ये फैक्टरी बहुत बड़ी थी और यहां पर बड़ी संख्या में भारतीय काम करते थे.
हादसे की पुष्ठी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की थी, उन्होंने कहा था कि हमें खेद है, हमें कुछ भारतीय श्रमिकों के मारे जाने की सूचना मिली है. हम इस घटना की समीक्षा कर रहे हैं."
विदेश मंत्री ने बताया था कि सूचनाओं के अनुसार कुल 60 भारतीय श्रमिक कारख़ाने में काम करते थे. उसमें से 53 उस घटना के दौरान कारखाने और आवासीय क्षेत्र में मौजूद थे. बाद में 16 भारतीयों के लापता होने की भी खबर आई थी.
सवाल ये कि भारतीय बड़ी मात्रा में सूडान क्यों जा रहे हैं?
सूडान में भारतीय लोग भी काफी संख्या में रहते हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सूडान में रह रहे भारतीयों की संख्या लगभग 4,000 है. इनमें से 1,200 लोग दशकों पहले वहां जाकर बस गए थे. ये लोग बिजनेस और नौकरी के सिलसिले में वहां गए थे.
1860 के दशक में गुजराती कारोबारी पहुंचे थे सूडान
सूडान में बसे ये भारतीय लगभग 150 साल पहले ही अपना देश छोड़ गए थे. माना जाता है कि वहां जाने वाले पहले भारतीय लवचंद अमरचंद शाह, एक गुजराती व्यापारी थे. ये दोनों भारत से माल आयात करते थे. 1860 के दशक की शुरुआत में ये दोनों व्यापारी सूडान पहुंचे थे. इसके बाद वह सौराष्ट्र से अपने रिश्तेदारों को यहां ले आए, जिन्होंने फिर अपने दोस्तों और परिवार को वहां बुला लिया. इस तरह सूडान में भारतीय समुदाय की जड़ें गहरी होते गईं.
धीरे-धीरे ये लोग पूर्वी हिस्से के छोटे शहरों (पोर्ट सूडान और सवाकिन) से भारतीय समुदाय के लोग शुरुआत में अंदरूनी हिस्सों में चले गए और ओमडुरमैन, कसाला,गेडारेफ और वाड मदनी जैसी जगहों पर जाकर बस गए.