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मरे और खोखले हो चुके कीड़े के दिमाग को कंट्रोल कर उसे चलाने वाला परजीवी मिला, देखें Video

कभी आपने मरे हुए कीड़े को चलते देखा है शायद आप कहेंगे कि कभी नहीं, लेकिन हम कहें कि हमने देखा है तो आप यकीन करेंगे. करना ही पड़ेगा, क्योंकि सोशल मीडिया पर एक वायरल हो रहा वीडियो इसका सबूत है.

जॉम्बी आपने फिल्मों में देखे होंगे, लेकिन अगर हम कहें कि रियल लाइफ में भी ऐसा ही कुछ होता है तो क्या आप विश्वास करेंगे? लेकिन भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी के सोशल मीडिया पर पोस्ट किए वीडियो को देखकर आपको इस पर यकीन भी होगा और इसका जीता-जागता सबूत भी देखने को मिलेगा. आईएफएस डॉ. सम्राट गौड़ा (Dr. Samrat Gowda) ने 18 अक्टूबर मंगलवार को अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है.

इस वीडियों में एक मरा हुआ खोखला कीड़ा चलता हुआ दिख रहा है. इसे देखकर आपको लगेगा कि जैसे कोई जॉम्बी चल रही है, लेकिन ये जॉम्बी नहीं बल्कि एक परजीवी का कमाल है. इस न्यूरो परजीवी (Neuro Parasite) ने मरे कीड़े के दिमाग को काबू कर उसे चलने पर मजबूर किया है. आईएफएस गौड़ा का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है. इस वीडियो को अभी तक 10 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है. 

जब मरा कीड़ा चलने लगा

प्रकृति कई ऐसे रहस्यों से भरी हुई है, जिसके बारे में शायद इंसान को कभी भी पूरी जानकारी नहीं हो पाएगी. कई बार प्रकृति ऐसे नजारे सामने लेकर आती हैं कि इंसान हैरान रह जाता है. भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी सम्राट गौड़ा का ट्विटर पर शेयर किया गया वीडियो कुछ ऐसे ही नजारे पेश कर रहा है. इस वीडियो को लोग खासा पसंद कर रहे हैं.

18 अक्टूबर को पोस्ट किए गए इस वीडियो को अब तक 6 हजार से अधिक लोग रीट्वीट कर चुके हैं तो इसे 27 हजार लाइक्स मिल चुके हैं.  इस वीडियो पर 735 लोगों ने कॉमेंट किया है. इस पर कुछ लोग सवाल भी पूछ रहे हैं कि क्या इंसानों में भी ये संभावना है.

आईएफएस गौड़ा ने ट्वीट में लिखा, "क्या आप जानते हैं? वैज्ञानिकों के अनुसार एक न्यूरो परजीवी ने इस मरे कीड़े के दिमाग को अपने काबू में ले लिया है और इसे चल रहा है...जॉम्बी." इस वीडियो में हरी घास पर एक पूरी तरह से खोखला मरा कीड़ा चलते हुए देखा जा सकता है.

क्या है न्यूरो पैरासाइट

नेशनल ज्योग्राफिक  की एक रिपोर्ट बताती है कि कुछ परजीवी ऐसे होते हैं जो अपने किसी मेजबान पर हमला करते ही उसके दिमाग को काबू कर लेते हैं. ये इतनी ताकत रखते हैं कि लाश को भी चलने पर मजबूर कर देते हैं. इसी तरह के परजीवी लाश के चलने की कल्पना को साकार करते नजर आते हैं. नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका की मैग्जीन माइंडसुकर्स  शीर्षक से छपी रिपोर्ट कहती है कि दिमाग को काबू करने वाले ये परजीवी अपने मेजबानों के अंदर बड़े स्तर पर ऐसा हेरफेर करते हैं कि वो खुद को खत्म करने वाले तरीके से काम करता है.

इस वजह से मेजबान के शरीर में जाने वाले इस तरह के परजीवी को फायदा होता है. फोर्ट कॉलिन्स में कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी जेनिस मूर ने कहा, "कुछ परजीवी अपने मेजबान के व्यवहार को उन तरीकों से बदल सकते हैं जो परजीवी को बेहतर घर देते हैं, या अधिक पोषक तत्व देते हैं, या मेजबान को एक अलग वातावरण में भेजने की वजह बनते हैं."

वह कहते हैं कि इस तरह के परजीवी की ये रणनीति काम करती दिखती है. उन्होंने आगे कहा, "एक परजीवी जो अपने मेजबान के व्यवहार को बदल सकता है, और ऐसा करने से उसे खुद को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है, ये प्रकृति के पक्ष में होने जा रहा है. इससे इंसानी जीवन के बहुत से रहस्यों को समझने में भी मदद मिल सकती है." वैज्ञानिकों ने इस तरह के 5 पैरासाइट का पता भी लगाया है.

परजीवी की स्टडी न्यूरो-पैरासिटोलॉजी 

एक ऐसे परजीवी की कल्पना करें जो किसी जानवर को उसकी आदतें बदलने के लिए प्रेरित करता है, उसे परजीवी की संतानों की रक्षा करने यहां तक कि परजीवी के प्रजनन के लिए उसे खुदकुशी करने के लिए उकसाता है. मन-नियंत्रण की एक साइंस फिक्शन फिल्म की बात लगती है, लेकिन ये घटना बेहद सच्ची और वास्तविक है.

इसकी स्टडी न्यूरो-पैरासिटोलॉजी कहलाती है.  फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी के एक लेख में बताया गया है, यह समझना कि कैसे परजीवी एक विशेष मकसद को हासिल  करने के लिए अपने मेजबान के तंत्रिका तंत्र को "हैक" करते हैं, कैसे जानवर अपने खुद के व्यवहार को काबू में रखते हैं और फैसले लेते हैं.

न्यूरो-पैरासिटोलॉजी विज्ञान की एक उभरती हुई शाखा है. ये ऐसे परजीवियों से संबंधित है जो मेजबान के तंत्रिका तंत्र को काबू कर सकते हैं. विज्ञान की ये शाखा यह जानने की कोशिश करती है कि कैसे एक प्रजाति (परजीवी) एक विशेष तंत्रिका नेटवर्क पर असर डालती है. उसमें हेरफेर कर अन्य प्रजातियों (मेजबान) के खास व्यवहार को बदल देती है.

इस तरह के परजीवी के अपने मेजबान पर परस्पर असर डालने का ये तरीका लाखों वर्षों के विकास के बाद विकसित हुआ है. एक तरह से ये इंसान के हाथ लगा अनोखा हथियार है जो ये पता करने में मदद करता है कि न्यूरोमॉड्यूलेशन विशिष्ट व्यवहारों कम या अधिक कैसे काबू करता है.

न्यूरोमॉड्यूलेशन तंत्रिका इंटरफ़ेस पर असर डालने वाली तकनीक है. सरल शब्दों में कहा जाए तो ये तकनीक तंत्रिका तंत्र में किसी भी तरह का हेरफेर होने से व्यवहार में आने वाले बदलावों का पता लगाती है.

क्या करते हैं न्यूरो पैरासाइट

कुछ सबसे आकर्षक जोड़तोड़ में ये परजीवी मेजबान के दिमाग के न्यूरोनल सर्किट में उसकी बुद्धि या ज्ञान वालों कामों में हेरफेर करने के लिए उसे पकड़ लेता है. कुछ परजीवी झींगुर और कुछ जमीनी कीड़ों के दिमाग में घुसकर उन्हें पानी में खुदकुशी करने के लिए उकसाते हैं. 

इस तरह इस परजीवी को उसके प्रजनन के अनुकूल जलीय वातावरण में बाहर निकलने में मदद मिलती है. परजीवी के तंत्रिका तंत्र में घुसकर हेरफेर कर मेजबान के व्यवहार में बदलाव लाने का एक अन्य उदाहरण चींटियों का है.

डोपामिन छोड़ने वाले कैटरपिलर के डोपामिन को खाने वाली चीटियां कैटरपिलर से दूर नहीं जाती बल्कि और आक्रामक हो जाती हैं. यह कैटरपिलर को फायदा करता है. ये चीटियां उसके अंगरक्षक की तरह काम करती हैं. इस तरह ये चीटियां कैटरपिलर को कीड़ों का शिकार होने से बचाती हैं.

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