Controversy Over Bihari Word In Pakistan: पाकिस्तान के सिंध प्रांत की विधानसभा में 'बिहारी' शब्द को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई. विधायक सैयद एजाज उल हक ने 'बिहारी' कहकर तंज कसने और मजाक बनाने पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि यह शब्द न केवल गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, बल्कि इससे एक पूरे समुदाय का अपमान हो रहा है, जिसने पाकिस्तान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी.
सिंध असेंबली में अपनी तकरीर के दौरान सैयद एजाज उल हक ने कहा "बिहारी वो लोग हैं जिन्होंने पाकिस्तान बनाया था. आज आप इन्हें गाली समझते हैं? यह भूलना उनकी कुर्बानियों का अपमान है." उन्होंने 'बिहारी' शब्द को मजाक में इस्तेमाल करने पर कड़ी निंदा की. उन्होंने बिहारियों को पाकिस्तान के निर्माण में योगदान देने वाला समुदाय बताया.
पाकिस्तान में बिहारी मुसलमान
पाकिस्तान में 'बिहारी' शब्द का इस्तेमाल भारत से विभाजन के दौरान और उसके बाद पलायन करने वाले मुसलमानों के लिए किया गया. 1947 में भारत विभाजन के समय, बिहार और उत्तर प्रदेश से कई मुसलमानों ने पाकिस्तान (पश्चिमी और पूर्वी) का रुख किया. बांग्लादेश बनने के बाद, जो बिहारी मुसलमान वहां से पाकिस्तान लौटे, उन्हें भी 'बिहारी' कहा गया. पाकिस्तान में इनकी पहचान 'मुहाजिर' (प्रवासी) के रूप में हुई.
राजनीतिक भेदभाव का सामना
समुदाय के लोग आज भी अपनी मूल पहचान और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विभाजन के बाद पाकिस्तान में पलायन कर आए मुसलमानों को स्थानीय समाज में "बिहारी" और "मुहाजिर" जैसे शब्दों से संबोधित किया गया. समय के साथ, 'बिहारी' शब्द ने नकारात्मक और तंज भरा रूप ले लिया. सैयद एजाज उल हक ने इस शब्द के मजाकिया इस्तेमाल को अनुचित बताते हुए कहा कि यह उन लोगों का अपमान है जिन्होंने पाकिस्तान के निर्माण में योगदान दिया.
सिंध असेंबली में बहस के प्रमुख बिंदु
सैयद एजाज उल हक का कहना है "बिहारी शब्द का सही सम्मान होना चाहिए. यह गाली नहीं, बल्कि गर्व का प्रतीक है."'बिहारी' शब्द को नकारात्मक रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जाए. समुदाय के संघर्ष और योगदान को स्वीकार किया जाए.