नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच हज यात्रा कल से शुरू हो गई. जहां पहले कदम रखने की जगह नहीं मिलती थी, वहां इस बार सन्नाटा पसरा हुआ है. दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से इस बार हज यात्रा सीमित पैमाने पर हो रही है. सऊदी अरब ने इस साल हज के लिए सिर्फ वहां रह रहे एक हजार लोगों को ही अनुमति दी है. सदी में पहली बार ऐसा हुआ है कि हज में कोई बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं हो रहा है.


सांकेतिक तौर पर हो रहा है हज


गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण इस बार हज यात्रा सांकेतिक तौर पर हो रही है. कई दिनों के एकांतवास के बाद ही हज में शामिल होने की इजाज़त मिल रही है. 20-20 लोगों के छोटे-छोटे समूहों में लोग इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल मक्का पहुंचना शुरु हो गए हैं. हज करने आए सभी लोगों के हाथों में इलेक्ट्रॉनिक बैंड बांधे गए हैं, जिससे अधिकारियों को उनकी निगरानी करने में आसानी हो. इसके साथ ही सभी के लिए मास्क पहना अनिवार्य किया गया है.


सिर्फ एक हजार लोगों को है हज की अनुमति


मुस्लिम समुदाय के लिए हज फर्ज होता है. हर मुसलमान अपने जीवन में एक बार हज पर जाने की तमन्ना रखता है. हर साल बड़ी तादाद में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया से मुसलमान हज की यात्रा पर जाते हैं. पिछले साल दुनियाभर के 25 लाख लोगों ने हज किया था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार सिर्फ एक हजार लोगों को ही इसमें शामिल होने की अनुमति मिली है. वहीं पिछले साल अकेले भारत से ही दो लाख लोग हज यात्रा में शामिल हुए थे.


सिर्फ सऊदी वासी ही कर रहे हैं हज


हर मुसलमान का सपना हाजी बनने का होता है, लेकिन इस साल सिर्फ सऊदी अरब में रह रहे मुसलमान ही हज के अपने सपने को साकार कर रहे हैं. इस बार सऊदी अरब में रह रहे 70 फीसद सऊदी और 30 फीसद गैर-सऊदी लोगों को ही हज करने की अनुमति मिली है. हालांकि, इसमें स्वास्थ्यकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों को वरीयता दी गई है.


आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान पर फर्ज होता है हज


हज आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान पर फर्ज होता है. मुसलमानों के लिए जिंदगी में एक बार मक्का-मदीना जाकर हज की अदायगी करना ज़रूरी होता है. हज इस्लाम का एक अहम हिस्सा होने की वजह से मुसलमानों की आस्था जुड़ा है. इसलिए हर मुसलमान की चाहत होती है कि जीवन में मक्का-मदीना जाकर हज की रस्मों को ज़रूर पूरा करे.


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