कोरोना वायरस को लेकर एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा है. कोरोना ने चीन में कोहराम मचाया हुआ है, वहीं दुनिया के दूसरे देश भी भयभीत हैं.कोरोना वायरस के सब वैरिएंट XBB का नाम सुनते ही लोग खौफ में आ गए हैं. सबके मन में सवाल है कि क्या एक बार फिर उन्हें अपने-अपने घरों में कैद होना पड़ेगा? हालांकि सवाल है कि क्या ये कोरोना का वैरिएंट उतना ही खतरनाक है जितना इसको भयावह बताया जा रहा है. इसकी बड़ी वजह ये है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने तबाही मचाई थी. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के सब वैरिएंट XBB डेल्टा वैरिएंट से भी 5 गुना ज्यादा घातक है.
हालांकि एक्सपर्ट की राय अलग है. वो कोरोना वायरस के सब वैरिएंट XBB को उतना खतरनाक नहीं मान रहे हैं. अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्प्रेस से बात करते हुए INSACOG के प्रमुख डॉक्टर एन के अरोड़ा ने कहा कि ये वायरस उतना खतरनाक नहीं है जितनी चर्चा हो रही है.देशभर में यह स्ट्रेन है और जो भी कोविड के मरीज मिल रहे हैं, उनमें से 40 से 50 प्रतिशत में XBB का ही संक्रमण मिल रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि इस वायरस की चपेट में आने वाले मरीज न तो गंभीर संक्रमण का शिकार हो रहा है, न अस्पताल में भर्ती. इस वायरस से होने वाली मौत का आंकड़ा भी बेहद कम है.
वहीं मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की कम्यूनिटी मेडसिन की प्रोफेसर डॉ. नंदिनी शर्मा ने भी इस पर अपनी राय दी. उन्होंने एक्प्रेस को कहा कि हमारे यहां XXB वैरिएंट का असर बहुत ज्यादा नहीं दिखा है. चिंता की कोई बात नहीं है.
नए वेरिएंट पर वैज्ञानिकों की नजर
बता दें कि कोरोना के नए वेरिएंट पर विशेष रूप से अमेरिका (America) में बीक्यू.1, बीक्यू.1.1, और बीएफ.7 की वैज्ञानिक लगातार निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि इनके मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल-यूएसए के आंकड़ों के अनुसार, बीक्यू.1 और बीक्यू.1.1 प्रत्येक में कुल मामलों का 5.7 प्रतिशत है, जबकि बीएफ.7 में 5.3 प्रतिशत है.
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में BQ.X वेरिएंट और BF.7 जांच के दायरे में है, क्योंकि वे प्रमुख BA.5 पर जमीन हासिल करते हैं. यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, BF.7 ने कोविड-19 मामलों में 7.26 प्रतिशत का योगदान दिया और BA.5 की तुलना में 17.95 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.