वाशिंगटन: कोविड-19 वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल के लास्ट स्टेज में पहुंची नौ कंपनियों में से एक अमेरिकी बायोटेक फर्म मॉडर्ना ने अपनी स्टडी का ब्लूप्रिंट जारी किया है. ट्रांसपेरेंसी के लिये ब्लूप्रिंट जारी करने वाली मॉडर्ना पहली कंपनी है.


मॉडर्ना के बाद दूसरी अमेरिकी कंपनी फायजर, जो इस समय अमेरिका में फेज 3 का ट्रायल कर रही है, ने भी ब्लूप्रिंट जारी किया है. इन दोनों कंपनियों के स्टडी के ब्लूप्रिंट जारी करने के बाद वैक्सीन बनाने में लगी अन्य कंपनियों पर भी ऐसा करने का दबाव है. फेज 3 अप्रूवल से पहले अंतिम चरण है, जिसमें वैक्सीन और प्लसीबो का टेस्ट हजारों पार्टिसिपेंट्स पर किया जाता है. जिससे वैरीफाई किया सके मेडिसिन सेफ और इफेक्टिव है.


अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के चलते वैक्सीन रेस का राजनीतिकरण हो गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, महामारी निपटने के लिए हो रही आलोचना का जवाब देने के लिये वैक्सीन जल्द से जल्द चाह रहे हैं.


ट्रम्प ने बुधवार को दोहराया कि पहली वैक्सीन अक्टूबर तक अप्रूव कर दी जाएगी. इससे इस बात को बल मिला है कि व्हाइट हाउस अप्रवूल बॉडी, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) पर दबाव डालेगा. वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी जो बिडेन ने बुधवार को कहा, "मुझे डोनाल्ड ट्रम्प पर भरोसा नहीं है."


ट्रंप प्रशासन के विशेषज्ञ और अधिकारी इस बात से सहमत हैं कि अभी जो ट्रायल चल रहे हैं, उनके परिणामों की बारे में भविष्यवाणी करना संभव नहीं है. साथ ही 2020 के अंत से पहले इसके स्ट्रांग डाटा मिलने की ज्यादा संभावना नहीं है. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, वैक्सीन की डोज शुरू में बहुत सीमित होगी.


मॉडर्न के सीईओ स्टीफन बैंसेल ने गुरुवार को कहा कि उनकी कंपनी को नवंबर में पता चल पायेगा कि उनका वैक्सीन काम कर पायेगा या नहीं. अक्टूबर में इसकी संभवना कम है. गुरुवार को पब्लिश ट्रायल प्रोटोकॉल 135 पेज का है और इसे "कोन्फिडेंशियल" मार्क किया गया है.


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