Corona Virus: रेडी-टू-ईट फूड के शौकीन हैं, तो जरूर पढ़िए ये खबर, एक्सपर्ट बोले- पैकिंग और खाने का खतरा संभव
Corona Virus On Ready-To-Eat Groceries: प्लास्टिक की सतह पर कोविड एक हफ्ते तक रह सकता है. कार्टन पर कई दिनों तक और एल्युमिनियम कैन पर कुछ घंटों तक ही रह सकता है.
Corona Virus On Ready-To-Eat Groceries: कोरोना महामारी के दौरान रेडी-टू-ईट फूड का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है. खुले फल और सब्जियों पर कोरोना वायरस की मौजूदगी से बचने के लिए लोग रेडी-टू-ईट फूड खरीदने लगे थे, लेकिन एक्सपर्ट ने अब इसे लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.
ब्रिटेन के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि रेडी-टू-ईट फूट पर कोरोना वायरस कई दिनों तक रह सकता है. फूड स्टैंडर्ड्स एजेंसी के लिए हुए इस टेस्ट में फूड प्रोडक्ट्स, फल और बोतलबंद पेय पदार्थों जैसी चीजें शामिल रहीं.
रेडी-टू-ईट फूड को लेकर स्टडी में क्या निकला
ब्रिटेन के एक्सपर्ट्स ने रेडी-टू-ईट फूड के उन आइटम्स के टेस्ट किए, जो लोग बिना पकाए और धोए ही खा सकते हैं. स्टडी के अनुसार, ज्यादातर खाने के सामानों पर जांच के दौरान 24 घंटे में ही कोरोना वायरस का असर खत्म होता नजर आया. ब्रिटेन की साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी ने बताया कि कुछ मामलों में कोरोना वायरस को एक हफ्ते बाद भी रेडी-टू-ईट फूड की पैकिंग पर पाया गया. उन्होंने कहा कि सार्स-कोव-2 (Sars-Cov-2) की संक्रामकता को देखते हुए यह स्टडी बहुत जरूरी है. लोगों को ये जानना में दिलचस्पी होगी कि वायरस कुछ मामलों में खाने और पैकेजिंग पर बना रहता है.
दुकानदारों को सतर्कता बरतने की जरूरत नहीं
एक्सपर्ट्स ने कहा कि दुकानदारों को कुछ अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत नहीं है. बस उसे पैक करने और खाने से पहले हाथों को धोने के साथ नए फूड को बनाने से पहले उनकी सतह पर किसी भी तरह की संक्रामकता को हटाने के लिए अच्छे से धोना चाहिए.
एक्सपर्ट्स ने इसके लिए ग्रासरी स्टोर से खुला सामान लिया. पैकेजिंग टेस्ट कार्टन, कैन और बोतलों पर किए गए थे. उनकी स्टडी इस बात पर आधारित थी कि अगर कोई कोरोना संक्रमित शख्स इन आइटम्स के पास खांसता या छींकता है, तो पैकेजिंग पर कितना वायरस नजर आएगा, क्योंकि कोविड इस दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली बूंदों के जरिये ही फैलता है. हालांकि, सांस के जरिये कोरोना फैलना अभी भी मुख्य वजह है.
अब ये स्टडी ज्यादा सटीक है- एक्सपर्ट
एफएसए के एंथोनी विल्सन ने कहा कि महामारी के शुरुआती दौर में कोरोना वायरस अलग-अलग फूड और पैकेजिंग पर कैसे जिंदा रहता है, इसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी. जिसके चलते खतरे को जांचना खराब ही कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि ये शोध हमें पैकेजिंग और फूड के जरिये कोरोना वायरस के फैलने की संभावना पर एक अलग नजरिया देता है, क्योंकि शुरुआती दौर में यही सामने आया था कि खाने की चीजों के जरिये कोविड फैलने की संभावना बहुत कम है.
टेढ़ी-मेढ़ी सतह वाली चीजों पर ज्यादा ठहरता है कोरोना वायरस
इस स्टडी में अलग-अलग तापमान और नमी के साथ सामान रखने की जगहों के आधार पर कोरोना वायरस के कमजोर पड़ने की जानकारी जुटाई. इस स्टडी में सामने आया कि सेब जैसी चिकनी सतह वाले फल की तुलना में टेढ़ी-मेढ़ी सतह वाली सब्जियां और फल जैसे- ब्रोकली और रसभरी (रास्पबेरी) पर वायरस लंबे समय तक टिका रहता है. सेब में प्राकृतिक केमिकल्स पाए जाते हैं, जो कोरोना वायरस को कुछ मिनटों या घंटों में कमजोर कर देते हैं.
बेकरी के आइटम्स की बात करें, तो पेस्ट्री पर कुछ घंटों में वायरस का असर कम होने लगता है. संभव है कि अंडे में पाया जाना वाला आर्किडोनिक एसिड, जो एंटी-वायरल है, से पेस्ट्री में कोरोना वायरस ज्यादा देर नहीं टिक पाता हो. वहीं, चीज और मांस जैसे हाई प्रोटीन और वसायुक्त खाने की चीजों पर कोरोना वायरस कई दिनों तक रह सकता है. प्लास्टिक की सतह पर कोविड एक हफ्ते तक रह सकता है. कार्टन पर कई दिनों तक और एल्युमिनियम कैन पर कुछ घंटों तक ही रह सकता है.
ये भी पढ़ें-
मेकअप रूम में ऐसा क्या हुआ कि तुनिषा ने किया सुसाइड? मां ने कहा- धर्म की वजह से शीजान से हुआ ब्रेकअप