वुहान: चीन के वुहान और इसके आसपास के शहरों में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है. ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वायरस की चपेट में आने से अब तक कम से कम चीन में 630 लोगों की मौत हो चुकी है और 24 हजार से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं. इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए अभी तक कोई कारगर उपाए नहीं किया जा सका है. सरकार और प्रशासन फिलहाल यही कोशिश कर रही है कि इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में कोई अन्य व्यक्ति नहीं आएं.


मुंबई पोर्ट पर रखी जा रही कड़ी नजर


वहीं, इस वायरस के डरावने रूप के सामने आने के बाद से भारत में भी रक्षात्मक कदम उठाए गए हैं. देश में अब तक कोरोना वायरस के तीन मामले सामने आ चुके हैं. इन मरीजों का आइसोलेटेड वॉर्ड में इलाज चल रहा है. देश में चीन से आने वाले हर व्यक्ति की एयर पोर्ट पर चेकिंग की जा रही है. इसी के तहत मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैच संजय भाटिया ने कहा है कि यहां किसी भी जहाज में अगर चीन के क्रू मेंबर रहते हैं तो उनकी पहले मेडिकल चेकिंग की जाती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पब्लिक हेल्थ ऑफिसर को भेजा जाता है. उन्होंने कहा कि चीन से आने वाले किसी क्रू मेंबर को शहर में या कहीं बाहर जाने की इजाजत नहीं है.


संजय भाटिया ने बताया कि पोर्ट पर आने वाले शिप के क्रू मेंबर की पूरी लिस्ट हमें दी जा रही है. इसमें यह भी बताया जा रहा है कि क्या किसी क्रू मेंबर ने पिछले 15 दिनों में चीन की यात्रा की है. उन्होंने कहा कि यहां जहाजों को अपना कूड़ा भी फेंकने नहीं दिया जा रहा है.


कोरोना वायरस के बारे में बताने वाले डॉक्टर की मौत 


इससे पहले बता दें कि चीन में जिस डॉक्टर ने सबसे पहले कोरोना वायरस के केस के बारे में बताया था उनकी मौत हो गई है. डॉक्टर ली वेनलियांग ने पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस के बारे में बताया था.
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि 34 साल के वेनलियांग ने दूसरे डॉक्टरों को महामारी के बारे में चेतावनी देने की कोशिश की थी और उनकी गुरुवार को वुहान में कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई. वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पिछले साल दिसंबर में वुहान में कोरोना वायरस के सामने आने की जानकारी दी थी.


हाल ही में कोरोना वायरस को देखते हुए एहतियात तौर पर सरकार ने अहम फैसला लिया था. इसके तहत सरकार ने बाहर भेजे जाने वाली यानी निर्यात किए जाने वाले सभी तरह के मास्क पर बैन लगा दिया था. चीन में कोरोना वायरस फैलने के बाद इस तरह के उत्पादों की मांग बढ़ने की संभावना देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.


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