दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी ने जीवन के प्रति हर किसी को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है. मेडिकल जगत के लोग इसके इलाज को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं बिल गिट्स ने भी अपने विचार साझा किए हैं. उनका कहना है कि कोरोना वायरस ने भूले हुए सबक को याद दिला दिया है. ऐसे में ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम उन सबक को याद रखें या भूल जाएं. महामारी के समय बिल गिट्स का विचार इसलिए भी अहम हो जाता है कि उन्होंने पिछले महीने इससे लड़ने के लिए 85 मिलियन डॉलर की बड़ी रकम दान में दी है.
महामारी के दौर में बिल गेट्स के विचार
परोपकार से जुड़े दुनिया के खरबपति शख्स अपने लेख "कोविड-19 हमें क्या पाठ पढ़ा रहा ?" में लिखते हैं कि हर घटना के पीछे एक आध्यात्मिक उद्देश्य होता है. अब हमारे ऊपर है कि इसे हम अच्छा या बुरा समझें. बिल गिट्स कहते हैं, "महामारी ने हमें बताया है कि हम सभी बराबार हैं. हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. चाहे हम किसी भी धर्म के माननेवाले हों या हमारा पेश कुछ भी हो. हम किसी भी मुल्क के रहनेवाले हों मगर हम सब एक दूसरे से प्रभावित होते हैं. मुल्क की सरहदों पर हमने झूठी रुकावटें खड़ी कर दिए हों मगर इस वायरस को पहुंचने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं है."
'जिंदगी सीमित है, एक दूसरे के मददगार बनें'
बिल गिट्स आगे कहते हैं, "कोरोना वायरस ने हमें सजग कर दिया है कि हमारा स्वास्थ्य कितना कीमती है. अगर हम इसकी देखभाल नहीं करते तो बीमार पड़ना लाजिमी है. सीमित जिंदगी में सबसे जरूरी है कि एक दूसरे की मदद करें विशेष तौर पर उनलोगों की जो बीमार हैं. हमारा समाज कितना भी भौतिकवादी क्यों ना हो गया हो मगर मुसीबत की इस घड़ी में हमारा काम ऐसा होना चाहिए जिससे दूसरे को फायदा पहुंचे. हम अपने अहंकार को काबू में रखें. हमारा उद्देश्य सिर्फ अपने तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि एक दूसरे का मददगार होना चाहिए. इतिहास ने पहले भी वर्तमान में उत्पन्न परिस्थिति को देखा है. अब वक्त आ गया है कि हम अपनी गलतियों से सीखे. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हर मुसीबत के बाद आसानी आती है. जीवन का चक्र इसी तरह चलता रहता है. उथल पुथल का ये दौर भी गुजर जाएगा."
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