नई दिल्ली: चीन के वुहान से फैले नोवल कोरोना वायरस अब तक दुनिया के दो लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्त में ले चुका है और दस हजार से ज्यादा इंसानी जानें जा चुकी हैं. चीन के बाद इस वायरस से इंसानी जान का सबसे ज्यादा नुकसान इटली और ईरान ने उठाया है. इटली में तो मरने वालों का आंकड़ा 3405 से ज्यादा हो गया है जो चीन में कोरोना वायरस के कारण हुई मौतों से भी अधिक है.


ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इटली और ईरान आखिर कैसे इस भयावह स्थिति में पहुंचे? क्या चीन से आर्थिक करीबी और आवाजाही के लिए दरवाजे बंद करने में हुई देरी इसकी कोई वजह है? साथ ही क्या वन-बेल्ट-वन रोड कई मुल्कों में कोरोना वायरस के लिए भी रास्ता बना? इन सवालों का सीधे कोई ठोस जवाब देना तो मुश्किल है. लेकिन यदि कोरोना वायरस संकट के बीच शुरुआती दिनों में हुई चीन के तरफ से हुई कोशिशों और ईरान, इटली जैसे मुल्कों की लापरवाही का कनेक्शन देखें तो तस्वीर की धुंध काफी छंटती है.


कई जानकारों का मानना है कि दिसंबर के दूसरे सप्ताह में यह सामने आने लगा था कि नोवल कोरोना वायरस जानलेवा है और उसके खिलाफ कोई सीधा इलाज भी मौजूद नहीं है. मगर चीन ने इसकी रिपोर्टिंग में देर की. वहीं चीनी दबदबे के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बीमारी को वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बताने में भी देरी की है.


चीन के साथ करीबी और कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनज़र अपने दरवाज़े बन्द करने में देरी इटली और ईरान जैसे कई मुल्कों को अब काफी भारी पड़ रही है. चीन की तरफ से युद्धस्तर पर इस बीमारी के खिलाफ प्रयास शुरू करने से पहले इटली और ईरान में इसके आकलन में हुई गफलत ने भी बीमारी को फैलने का रास्ते भी दे दिए. यूरोपीय चीन के पीकिंग यूनियन मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डॉक्टर वू डॉंग के हवाले से आई खबरों के मुताबिक यूरोप के साथियों ने बीमारी की रोकथाम में लगभग वही गलतियां की जो कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती दिनों में वुहान में हई थी.


इटली में कोरोना वायरस संक्रमण ने लोगों को चौंकाया


चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस संक्रमण ने हज़ारों कोस दूर इटली को जिस तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसने कई लोगों को चौंकाया. महज़ कुछ दिनों के भीतर इटली में जहां 35715 लोग कोविड19 के मरीज बने है और 3405 लोगों ने जान गंवाई है उसने कई देशों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. हालांकि कई मुल्कों में कोविड19 के तेज प्रसार की बड़ी वजह चीन से आवाजाही पर नियंत्रण लगाने में देरी होना भी नज़र आ रहा है.


इटली में भारत के राजदूत रहे पूर्व राजनयिक अनिल वाधवा बताते हैं कि बीते कुछ सालों में इटली और चीन के बीच आर्थिक सम्बन्ध काफी मजबूत हुए. इटली के मिलान जैसे शहर में करीब 7 वर्गमील में फैला चाइना टाऊन है जहां बड़ी संख्या में चीनी लोग रहते हैं. साथ ही चीन के पर्यटक बड़ी संख्या में मिलान, तुरीन जैसे उत्तरी इटली के शहरों में घूमने जाते हैं. ऐसे में इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि चीनी पर्यटकों और चीन से लौटे इतालवी नागरिकों की आवाजाही के कारण कोविड19 वायरस इटली में अधिक तेजी से फैला हो.


इसके अलावा इटली के टेक्सटाइल उद्योग का भी चीन के साथ गहरा कारोबारी नाता है. वहीं बहुत से इतालवी विशेषज्ञ अनेक संयुक्त परियोजनाओं पर चीन में काम कर रहे हैं. ऐसे में उनकी आवाजाही के माध्यम से ही यह संक्रमण इटली में दाखिल हुआ हो सकता है. चूंकि इस बीमारी का इन्क्यूबेशन पीरियड यानी लक्षण नज़र आने में लगने वाला समय करीब दो हफ्ते का है. ऐसे में यह खतरा बना रहता है कि संक्रमित व्यक्ति में लक्षण नजर आने से पहले ही वो कई लोगों तक बीमारी फैला चुका हो.


इतालवी सरकार की रिपोर्ट क्या कहती है?


इतालवी सरकार की अपनी रिपोर्ट बताती है कि कोविड19 का सर्वाधिक कहर उत्तर इटली के वेनेटो और लोम्बारडी जैसे इलाकों में हुआ है. वहीं चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ की जनवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी पर्यटकों के लिए इटली एक पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है. इटली के नेशनल टूरिस्ट बोर्ड आंकड़ों का हवाला देते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 2018 के दौरान इटली में रात बिताने वाले चीन पर्यटकों की संख्या 53 लाख थी जो इससे पहले के साल के मुकाबले 5 फीसद ज़्यादा थी.


जनवरी 2020 में ही दोनों देशों ने चाइना-इटली ईयर ऑफ कल्चर और टूरिज़्म की भी शुरुआत की थी. ध्यान रहे कि चीन में जब कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ तो उस वक्त चीनी नववर्ष यानी स्प्रिंग फेस्टिवल की छुट्टियां लग चुकी थीं. वहीं चीन सरकार की तरफ से शुरुआत में इसकी गम्भीरता आंकने में हुई देरी के कारण काफी लोग छुट्टियों पर बाहर घूमते भी रहे.


ईरान में कोविड19 से मरने वालों का आंकड़ा 1135 पहुंचा


कुछ ऐसी ही कहानी ईरान की भी है. अमेरिकी पाबंदियों के कारण बीते कुछ दशकों में चीन पर ईरान की आर्थिक निर्भरता बहुत बढ़ी है. अब ईरान में भी कई लोग इस बाबत सवाल उठा रहे हैं कि जब दुनिया के अधिकतर मुल्क वुहान कनलिर आपनी उड़ान सेवाएं बन्द कर चुके थे तो फिर ईरान की महान एयर की फ्लाइट क्यों वुहान आती जाती रहीं. गौरतलब है कि ईरान में कोविड19 से मरने वालों का आंकड़ा 1135 हो चुका है जबकि इससे पीड़ित लोगों की संख्या 17361 को पार कर गई है.


दक्षिण एशिया को पाकिस्तान को भी ईरान और चीन से करीबी का खामियाजा उठाना पड़ा. पाक ने चीन से अपने छात्रों को भले न वापस आने दिया हो. लेकिन ईरान से आने वाले तीर्थयात्रियों की आवाजाही का सिलसिला हफ्तों तक लगातार जारी रहा. यही वजह है कि 15 मार्च को जहां पाकिस्तान में कोविड मरीजों की संख्या दो अंकों में था. वहीं 20 मार्च तक यह संख्या 240 को पार कर गई.


विदेश मंत्रालय में सचिव रहे वाधवा भारत सरकार की तरफ से उठाए गए शुरुआती कदमों की तारीफ करते हैं. उनका कहना है कि चीन, जापान की तरफ से वीज़ा पाबंदियां हटाने की मांग भले ही की जा रही हो. लेकिन भारत में बीते कुछ दिनों के दौरान कोविड19 मामलों में हुए इजाफे के मद्देनजर फिलहाल कोई ढिलाई देना मुनासिब नहीं है. आर्थिक नुकसान व परेशानियों के बावजूद लोगों का स्वास्थ्य सबसे बड़ी चिंता है जिसपर अभी प्राथमिकता से ध्यान देना ज़रूरी है.


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