नेपाल में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमित लोगों से कहा है कि सिर्फ स्थिति बिगड़ने पर ही अस्पताल आएं. हाल के हफ्तों में भारत के पड़ोसी देश में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 25 हजार को पार कर गई है. इस बीच लोगों से सिर्फ इमरजेंसी में इलाज को आने की सलाह दी गई है.


कोरोना वायरस ने नेपाल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर डाला बोझ


जनसंख्या और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता डॉक्टर जागेश्वर गौतम ने कहा, "संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों में बेड की कई हो गई है. मरीजों को बेड की सुविधा मिलने में दुश्वारी आ रही है. हालांकि सरकारी और निजी अस्पतालों को मरीज का इलाज करने की व्यवस्था करनी चाहिए, मगर काठमांडू में कोरोना के मामलों से हालात बदतर हो गए हैं. अगर संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती रही तो अस्पताल बोझ नहीं उठा पाएंगे."


संक्रमित लोगों को सिर्फ इमरजेंसी में अस्पताल आने की सलाह 


उन्होंने बुखार, खांसी और नाक बहने की शिकायत पर लोगों से अस्पताल नहीं आने की अपील की. उनका कहना है कि ये लक्षण कोविड-19 और फ्लू का भी हो सकता है. मंत्रालय के मुताबिक, सितंबर के अंत तक नेपाल में 930 वेंटिलेटर और ICU बेड की संख्या 2600 थी. बुधवार तक कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 25 हजार 7 हो गई. अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड करीब पूरी तरह भर गए हैं.


शुरू में कोरोना का संक्रमण भारत से सटे पड़ोसी जिलों में फैला था, मगर अब इसकी आंच राजधानी काठमांडू और घाटी तक पहुंच गई है. कोरोना वायरस संक्रमण के रोजाना नए मामलों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़कर 3 हजार 439 हो दर्ज की गई है. नेपाल में संक्रमण के चलते जहां 578 लोगों ने दम तोड़ दिया है, वहीं कुल संक्रमित मरीजों की तादाद 94 हजार को पार कर गई है. पहाड़ी मुल्क में संक्रमण की दर 22.4 फीसद है जबकि ठीक होनेवालों की दर 70-80 फीसद के बीच है. नेपाल में मेडिकल सेक्टर हमेशा से उपेक्षित रहा है. अब कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी से अस्पतालों को बेड और वेंटिलेटर की कमी से जूझना पड़ रहा है.


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