इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने बुधवार को दक्षेस देशों के व्यापारिक अधिकारियों की बैठक का बहिष्कार किया. पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि ऐसी बैठकें तभी प्रभावी हो सकती हैं जब इनका नेतृत्व समूह का सचिवालय कर रहा हो. पाकिस्तान के द्वारा इस बैठक में भारत के नेतृत्व का विरोध किया गया.


यह बैठक कोरोना वायरस के प्रभाव पर चर्चा करने और इस बात पर विचार विमर्श के लिए थी. इसमें चर्चा की गई थी कि किस प्रकार यह समूह इस संकट से निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार कर सकता है. बैठक पूरी होने के कुछ ही देर बाद पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान जारी कर दिया.


पाकिस्तान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि आज की व्यापार अधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंस जैसी गतिविधियां केवल तभी प्रभावी हो सकती हैं, जब इनका नेतृत्व समूह का सचिवालय कर रहा हो. चूंकि दक्षेस सचिवालय आज की वीडियो कांफ्रेंसिग का हिस्सा नहीं है. इसीलिए पाकिस्तान ने इसमें हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था.


पाकिस्तान को छोड़कर सार्क देशों के व्यापारिक अधिकारियों की इस वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में कोरोना वायरस महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को दूर करने के लिए व्यापार सुविधा का एक बड़ा ढांचा तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे व्यापारिक चैनलों को फिर से पूरी तरह बहाल किया जाए और व्यापार को बनाए रखने और विस्तार करने के लिए नए तरीकों और साधनों की संयुक्त रूप से पहचान की जाए.


आपको बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी ने भी 15 मार्च को सार्क के सदस्य देशों के साथ कोरोना वायरस की महामारी से लड़ाई में ज़रूरी कदम उठाने के लिए एक वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी. पीएम मोदी ने सार्क देशों को महामारी से निपटने के लिए एक आपातकालीन कोष बनाने का प्रस्ताव दिया था. इसके अलावा इस कोष के लिए भारत ने 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की शुरुआती पेशकश की थी.