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Coronavirus: खाना बांटने में धार्मिक भेदभाव कर रहा पाकिस्तान, USCIRF बोला- समानता से मदद सुनिश्चित कराए सरकार
कराची में गैर-सरकारी संगठन ने हिंदू और ईसाइयों को खाद्य सामग्री देने से इनकार किया था. USCIRF की 2019 की रिपोर्ट में उल्लेख है कि पाक में हिंदू-ईसाई खतरे का सामना कर रहे हैं.
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वाशिंगटन: पाकिस्तान से मदद करने के दौरान भी भेदभाव की ख़बरों के बाद अमेरिका की संस्था ने USCIRF ने इस मामले में दखल दिया है. USCIRF की कमिश्नर अनुरिमा भार्गव ने पाकिस्तान सरकार से समानता से सभी की मदद सुनिश्चित करने को कहा है. पाकिस्तान में हिंदू और ईसाइयों के साथ मदद में धार्मिक भेदभाव करने के आरोप लगे हैं.
यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलीजियस फ़्रीडम (USCIRF) की कमिश्नर अनुरिमा भार्गव ने कहा कि पाकिस्तान में हो रही इस प्रकार का भेदभाव बेहद निंदापू्र्ण है. अनुरिमा ने कहा कि कोरोना वायरस का प्रसार जारी है. पाकिस्तान के भीतर कमजोर समुदाय भूख और अपने परिवारों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. अनुरिमा ने आगे कहा कि किसी के धार्मिक विश्वास के कारण खाद्य सहायता से इनकार नहीं किया जाना चाहिए. हम पाकिस्तानी सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि संगठनों के द्वारा वितरित की जाने वाली खाद्य सहायता हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों के साथ समान रूप से साझा की जाएं.
आपको बता दें कि कराची से ऐसी खबरें आई हैं कि बेघर और श्रमिकों की सहायता के लिए स्थापित एक गैर-सरकारी संगठन सयानी वेलफेयर इंटरनेशनल ट्रस्ट हिंदुओं और ईसाइयों को खाद्य सहायता देने से इनकार कर रहा है. उनका तर्क है कि सहायता केवल मुसलमानों के लिए आरक्षित है.
USCIRF के जॉनी मूर ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दिए गए एक संबोधन में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विकासशील देश कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश करते हुए भी लोगों को भूख से मरने से बचाएं. प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के पास नेतृत्व करने का अवसर है लेकिन उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए. अन्यथा वे धार्मिक भेदभाव और अंतर-सांप्रदायिक संघर्ष द्वारा निर्मित एक और संकट खड़ा कर लेंगे.
गौरतलब है कि USCIRF ने अपनी 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अपनी सुरक्षा के लिए खतरे का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ रहा है.
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