भारत में सबसे पहले जो कोरोना का वेरिएंट मिला था उसका नाम सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘डेल्टा वेरिएंट’ रखा है. भारत में 12 मई को इस वेरिएंट की पहचान B.1.617 से की गई थी, जिसे भारतीय वेरिएंट कहा जा रहा था. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा था कि वायरस और वेरिएंट्स को किसी भी देश के नाम से नहीं पहचाना जाना चाहिए, जहां पर वह पाया गया है.
कोरोना का यह वेरिएंट B.1.617 आधिकारिक तौर पर 53 देशों और अनाधिकृत तौर पर सात अन्य देशों में पाया गया . यह दूसरे वायरस की तुलना में ज्यादा जल्दी से फैलने वाला है, हालांकि इसकी गंभीरता की अभी जांच की जा रही है.
डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 के टेक्निकल लीड डॉक्टर मारिया वेन केरखोव ने बताया- "मौजूदा वैज्ञानिक नामों पर यह लेबल नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सूचना देते हैं और उस शोध में इस्तेमाल किया जाता रहेगा. किसी भी देश में जहां पर यह वेरिएंट पाया जाता है उसे उसका पीड़ा नहीं दिया जाना चाहिए. "
इसमें कहा गया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा बुलाए गए एक विशेषज्ञ समूह ने ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों का उपयोग करने की सिफारिश की है, जो कि अल्फा, बीटा, गामा आदि हैं. यह गैर वैज्ञानिक लोगों के लिए ज्यादा आसान चर्चा करने में प्रैक्टिकल रहेगा.
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