दुनिया में फैली कोरोना वायरस की महामारी के बीच कुछ देशों ने मृत्यु दर पर हैरतअंगेज तरीके से कमी पाई. ऐसा उन्होंने संक्रमित मरीजों को तेजी से इलाज की सुविधा पहुंचाकर और तकनीक के माध्यम से किया. जर्मनी और दक्षिण कोरिया ने समय रहते मृत्यु दर को काबू में रखा  जबकि दुनिया के विकसित देश अमेरिका और इटली में संक्रमित मरीजों की मौत की दर काफी तेजी से बढ़ी.


जांच में दो दिन लगने वाला समय घटकर हुआ ढाई घंटेे


जिंदगी और मौत के बीच रॉबर्ट बोश नामक कंपनी उम्मीद की किरण बनकर सामने आयी. उसने कोविड-19 टेस्ट के लिए एक डिवाइस तैयार किया. जिसके इस्तेमाल से संक्रमित मरीजों की जांच रिपोर्ट आने में लगने वाला दो दिन का समय घटकर ढाई घंटे का हो गया. रिपोर्ट वक्त रहते आने पर इलाज करने में डॉक्टरों को सहूलियत हो गयी. कोरोना वायरस संक्रमण की जांच में समय लगता है और तकनीशियन की जरूरत होती है. जिस रफ्तार से बीमारी बढ़ रही है उतनी तेजी से उपकरणों का उत्पादन नहीं हो रहा है. जिसके चलते इलाज में काम आनेवाले उपकरणों की भारी कमी का सामना दुनिया को करना पड़ रहा है. फिलहाल वैज्ञानिक ब्लड आधारित जांच पर भरोसे का मुआयना कर रहे हैं.


कोविड-19 की जांच के लिए डिवाइस उम्मीद की किरण


कंपनी का कहना है कि डिवाइस पहले से ही अस्पतालों, लैबोरेटरी में इस्तेमाल की जा रही है. जिससे वायरल और बैक्टीरियल बीमारियों का पता लगाकर इलाज किया जा रहा है मगर अप्रैल के महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसे उतार दिया जाएगा. टेस्ट डिवाइस से जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों को तेजी से आइसोलेट कर इलाज पहुंचाना शुरू कर दिया जाता है. जिसकी वजह से मरीजों के ठीक होने का दर मृत्यु दर से बहुत ऊंचा हो जाता है. इससे पहले कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच रिपोर्ट आने में कई दिन लग जाते थे.


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