नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एक नए अध्ययन के बाद चिकित्सा कर्मचारियों के लिए "एयरबोर्न प्रिकोशंस" हवा में फैले वायरस से सावधानी पर विचार कर रहा है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोरोना वायरस विशेष परिस्थितियों जैसे गर्मी और नमी में आठ घंटे तक हवा में ठहर सकता है. ऐसे कोरोना ग्रसित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स को काफी सावधान रहने की जरूरत है.
एक सम्मेलन के दौरान ज़ूनोसिस यूनिट के प्रमुख डॉक्टर मारिया वान केरखोव ने पत्रकारों को बताया कि डब्लूएचओ ने उभरती बीमारियों जैसे छींकने या खांसने के माध्यम से बूंदों, या तरल के थोड़े से बिट्स के माध्यम से प्रेषित किया है. "जब आप एक मेडिकल केयर सुविधा की तरह एक एरोसोल-जनरेट करने की प्रक्रिया करते हैं तो कण थोड़ी देर हवा में रह सकते हैं." उन्होंने कहा, "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर जब मरीजों का इलाज करें तो अधिक सावधानी बरतें.
स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि सांस की बीमारी मानव से मानव के संपर्क में आने, छींक या खांसी के साथ निर्जीव वस्तुओं पर छोड़े गए कीटाणुओं के माध्यम से फैलती हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्साकर्मी मरीजों का इलाज करते समय N95 मास्क का प्रयोग करें. ये सभी तरल या हवाई कणों को लगभग 95 फीसदी तक फिल्टर करता है.
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