नई दिल्लीः दुनियाभर में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए अभी तक गिलियड की रेमडेसिविर का इस्तेमाल हो रहा था. बताया जा रहा था कि रेमडेसिविर से कोरोना संक्रमण के इलाज में काफी तेजी आई है. वहीं अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रेमडेसिविर को अपनी कथित प्रीक्वालिफिकेशन लिस्ट से बाहर कर दिया है.


विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि रेमडेसिविर से कोरोना संक्रमित मरीज के बचने की संभावना पर कोई खास असर नहीं देखा जा रहा है, इसलिए इसका इस्तेमाल कोरोना संक्रमित के इलाज के लिए नहीं किया जाना चाहिए. इससे पहले कोरोना के सफल इलाज के लिए रेमडेसिविर को कोरोना की असरदार दवाओं में से एक समझा जा रहा था. एक रिपोर्ट यह बताती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में भी रेमडेसिविर का अहम योगदान था.


बता दें कि समाचार एजेंसी रॉयटर्स के किए गए ईमेल के जवाब में तारिक जसरविच ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से स्पष्ट करते हुए कहा है कि रेमडेसिविर को प्रीक्वालिफिकेशन लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. वहीं कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के दौरान बेहतर नतीजे आने के बाद जर्मनी की दवा निर्माता कंपनी बायोटेक के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर शुक्रवार को कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए इमरजेंसी अप्रुवल मांगने जा रही है.


वहीं वैक्सीन के बारे में ऐसा माना जा रहा है कि अगर इसे आपातकालीन मंजूरी मिल जाती है तो अमेरिका में दिसंबर के मध्य या आखिर तक उपलब्ध हो जाएगी. वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रुवल में कुछ हफ्ते लग सकते हैं क्योंकि फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के वैज्ञानिकों की तरफ से इसके डेटा को देखा जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है.


इसे भी पढ़ेंः
अमेरिका में कोरोना की नई लहर, 24 घंटे में आए 1.87 लाख नए केस, दो हजार संक्रमितों की मौत


इस महिला ने सिर्फ 3 दिन में की 208 देशों की यात्रा, बनाया विश्व रिकॉर्ड