विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम कोरोना वायरस की उत्पत्ति और इंसानों में संक्रमण संबंधित जानकारी जुटाने के लिए अगले हफ्ते चीन का दौरान करनेवाली है. इस बीच उसने कहा है कि उसे वुहान में निमोनिया के पहले मामले के बारे में चीन ने नहीं बताया था बल्कि चीन के उसके दफ्तर से पहला अलर्ट मिला था. WHO ने कोविड-19 संकट के शुरुआती दौर की जानकारी मिलने से संबंधित ताजा अपडेट जारी किया है.


कोरोना वायरस पर WHO का बड़ा बयान


WHO प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने 20 अप्रैल को प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि पहली रिपोर्ट चीन से आई थी. हालांकि उन्होंने रिपोर्ट के स्रोत के बारे में ज्यादा विस्तार से जानकारी नहीं दी थी. जिसके चलते ये पता नहीं चल पाया कि रिपोर्ट चीनी अधिकारियों ने भेजी थी या फिर WHO को किसी अन्य स्रोत से मिली थी. एक खबर के मुताबिक, इस हफ्ते प्रकाशित होनेवाली नई टाइमलाइन से ऐसे इशारे मिलते हैं कि 31 दिसंबर को चीन में WHO के दफ्तर ने वुहान हेल्थ कमीशन की वेबसाइट पर ब्रीफिंग में अपने स्थानीय दफ्तर को ‘वायरल न्यूमोनिया’ के मरीजों से संबंधित सूचित किया था.


'चीन ने नहीं बल्कि उसके दफ्तर ने किया था अलर्ट'


उसी रोज WHO की महामारी इंफोर्मेशन सर्विस को अमेरिका में महामारी से संबंधित अंतरराष्ट्रीय निगरानी के नेटवर्क से एक खबर मिली जिसमें अज्ञात कारणों की बिना पर न्यूमोनिया के प्रभावितों का जिक्र था. जिसके बाद WHO ने 1 और 2 जनवरी को दो मौकों पर चीनी अधिकारियों से इस बारे में जानकारी तलब की. अधिकारियों ने 3 जनवरी को ये जानकारी WHO को मुहैया करा दी. WHO के आपातकालीन मामलों के डायरेक्टर माइकल रयान ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि किसी भी मुल्क के पास किसी घटना की आधिकारिक पुष्टि करने और एजेंसी को घटना के कारण बताने या उसके बारे में अतिरिक्त जानकारी मुहैया कराने के लिए 24-48 घंटे का समय होता है.


WHO का नया बयान विवादों को दे सकता है जन्म


रयान ने आगे कहा कि रिपोर्ट की पुष्टि के लिए चीनी अधिकारियों ने फौरी तौर पर एजेंसी से संपर्क स्थापित किया. गौरतलब है कि अमेरिका में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और WHO के जबरदस्त वार-पलटवार देखा गया है. अमेरिका WHO पर समय रहते सूचना नहीं देने का आरोप लगाता रहा है. अमेरिका का कहना है कि चीन के दबाव में संगठन ने सूचना को छिपाए रखा. जिसका WHO पुरजोर खंडन कर चुका है.


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