वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक: जानें- 2018 में भारत की स्थिति में सुधार हुआ या ये और बिगड़ गई
मंगलवार को भ्रष्टाचार विरोध निगरानी संस्था ने ये रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है. वहीं, चीन की स्थिति भारत से काफी बदतर है. ये रिपोर्ट ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की है और रिपोर्ट का नाम करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (सीपीआई) है.
लंदन: 2011 के दौरान जब जन लोकपाल आंदोलन ने रफ्तार पकड़ी थी तो भारत की छवि एक भ्रष्ट देश की बन गई थी. इसका असर ये रहा कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस 2014 के आम चुनावों में 50 सीटें भी नहीं हासिल कर सकी. लेकिन ताज़ा और बड़ी ख़बर ये है कि वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक या रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है. ये सुधार तीन प्वाइंट्स का है और 180 देशों की रैंकिंग में भारत 78वें नंबर पर आ गया है, वहीं एक ओर जहां चीन 87वें नंबर पर है तो पाकिस्तान 117वें नंबर पर है.
मंगलवार को भ्रष्टाचार विरोध निगरानी संस्था ने ये रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है. वहीं, चीन की स्थिति भारत से काफी बदतर है. ये रिपोर्ट ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की है और रिपोर्ट का नाम करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (सीपीआई) है.
???? OUT NOW! We analysed 180 countries to see how they scored in the fight against #corruption. Check out your country’s score now! #CPI2018
— Transparency Int'l (@anticorruption) January 29, 2019
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक, "जैसा कि भारत अगले चुनाव की ओर बढ़ रहा है, हमें इसके सीपीआई स्कोर में कोई सुधार खासा नज़र नहीं आ रहा है. ये 40 से 41वें नंबर पर चला गया है." इसमें 2011 के जन लोकपाल आंदोलन का ज़िक्र करते हुए उसे शानदार मुहिम बताया गया है और ये भी याद दिलाया गया है कि कैसे जनता ने उस समय सरकार से जन लोकपाल कानून की मांग की थी. रिपोर्ट का कहना है कि ये प्रयास अंत में औंधे मुंह गिर गए और इनका कोई फायदा नहीं हुआ.
इसमें ये भी कहा गया है कि भारत में ज़मीनी स्तर पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कोई पुख्ता तैयारी नहीं की गई है. इस रैंकिंग में पहले नंबर के देशों में डेनमार्क (88 अंक) और न्यूज़ीलैंड (87 अंक) शामिल हैं. सोमालिया (10 अंक), सीरिया (13 अंक) और सूडान (13 अंक) इस लिस्ट के सबसे निचले पायदान पर हैं. इस लिस्ट में दो तिहाई देशों का स्कोर 50 से नीचे का है जिनमें से ज़्यादातर देशों का अंक 43 के करीब है.
आपको बता दें कि 2016 में भारत 79वें नंबर पर था जिसके बाद 2017 में 81वें नंबर पर आ गया और 2018 में तीन पायदान के सुधार के साथ ये 78वें नंबर पर आ गया है. आपको बता दें कि वर्तमान सरकार ने अपने अभी तक के कार्यकाल में लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है और देश में राफेल ख़रीद कथित भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
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