पीला बुखार से संक्रमित होने होने पर 15 फीसद मरीजों की मौत हो जाती है लेकिन बीमारी के खिलाफ एक प्रभावी वैक्सीन मौजूद है. सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों के लोगों का टीकाकरण में बाधा का मतलब है वैज्ञानिक एक आश्चर्यजनक विकल्प की तलाश कर रहे हैं और ये विकल्प है बंदरों का टीकाकरण.


पीला बुखार की वैक्सीन होने के बावजूद हैं कई बाधाएं 


ब्राजील में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से अमेरिका के बाद दुनिया भर में सबसे ज्यादा मृत्यु दर है. लेकिन वैज्ञानिकों को इसके अलावा दक्षिण अमेरिकी देश में एक बार फिर ज्यादा खतरनाक और घातक बीमारी के फूट पड़ने का अंदेशा है. पीला बुखार दो लाख लोगों को संक्रमित करता है और हर साल 30 हजार को मौत की नींद सुला देता है. ये आंकड़ा किसी आतंकवादी हमले या विमान दुर्घटना में जान गंवाने लोगों की संख्या से ज्यादा है.


वायरस की वजह से होनेवाली बीमारी इंसानों और जानवरों में मच्छरों के जरिए फैलती है. उसके लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द और कुछ मरीजों पीलिया शामिल है, जिससे मरीज की स्किन पीली पड़ जाती है. गंभीर बीमारी की सूरत में शरीर के अंदर खून बहने लगता है और जिगर काम करना बंद कर देता है. अगर बीमारी के खिलाफ टीकाकरण नहीं किया जाए, तो बीमारी से पीड़ित होने पर 15 फीसद मरीजों की मौत हो जाती है. ये संख्या कोविड-19 से होनेवाली मौत की दर से ज्यादा है.


भविष्य के प्रकोप को रोकने के लिए बंदरों का टीकाकरण


2016-17 में बीमारी का प्रकोप फैलने पर वैक्सीन के लिए लंबी कतारों और मैसेजिंग एप्स पर जाली खबरों के चलते भी लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी. एक अन्य समस्या वैक्सीन की किल्लत की भी हो सकती है. नतीजे के तौर पर रियो की आबादी के सिर्फ आधे हिस्से को ही पीला बुखार के खिलाफ सुरक्षित किया गया है. लेकिन एक दूसरा तरीका भी पीला बुखार के खिलाफ लोगों को वैक्सीन लगाने का है. दुनिया में 7.8 बिलियन इंसानों की आबादी है जबकि सिर्फ 2 हजार 500 सुनहरे टामारिन बंदर हैं. इसलिए, इंसानों में भविष्य के प्रकोप को रोकने का एक अनूठा तरीका ये हो सकता है कि केलों के शौकीन बंदरों का टीकाकरण.


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