Coup in Iran: इजरायल ने ईरान के अंदर घुसकर जब से हमास के मुखिया इस्माइल हनिया की हत्या की है. ईरान बदला लेने के लिए बेचैन है. जामकरन मस्जिद पर लाल झंडा लगाकर ईरान ने यह साफ कर दिया है कि उसका मकसद इजरायल से बदला लेना है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने भी कह दिया है कि ईरान बदला लेगा, लेकिन सवाल है कि कब?


क्या सच में ईरान बदला लेगा. क्या सच में ईरान इजरायल पर हमला करेगा या फिर ईरान में ही कोई ऐसी ताकत है, जो ईरान को लड़ाई करने से रोक रही है और उसका नतीजा ईरान में पहले गृहयुद्ध और बांग्लादेश जैसा तख्तापलट भी हो सकता है. आखिर ईरान में वो कौन है, जो ईरानी सेना को अब भी हमले से रोकने की कोशिश कर रहा है और हनिया की हत्या के करीब 15 दिन बाद भी ईरान इजरायल पर हमला नहीं कर पाया है.


पजेशकियान के शपथ ग्रहण में शामिल हुआ था हनिया


जामकरन मस्जिद पर लाल झंडा लगाने और अयातुल्लाह अली खामेनेई के आदेश के बाद भी अगर ईरान की सेना ने इजरायल पर हमला नहीं किया है तो उसकी वजह हैं ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेशकियान. हमास के मुखिया इस्माइल हनिया की ईरान में जब हत्या हुई थी तो उस वक्त हनिया इन्हीं मसूद पजेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए ही तेहरान गया था. 


दूसरी तरफ अब ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेशकियान इजरायल से सीधी लड़ाई नहीं चाहते हैं. क्योंकि पजेशकियान को डर है कि अगर ईरान ने सीधे इजरायल पर हमला किया तो फिर ईरान को न सिर्फ इजरायल का गुस्सा झेलना पड़ेगा बल्कि अमेरिका भी इजरायल के साथ आकर जंग लड़ेगा. इन दोनों देशों से एक साथ लड़ना ईरान और मसूद पजेशकियान के लिए मुमकिन नहीं होगा. इसलिए पजेशकियान चाहते हैं कि ईरान लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह को ही मदद करे, और आधुनिक हथियार दे, ज्यादा पैसे दे और ज्यादा लड़ाके दे, ताकि हिजबुल्लाह ही इजरायल के खिलाफ लड़ाई लड़े. बाकी पजेशकियान चाहते हैं अगर ईरान को हमला करना ही है तो वो सीधे इजरायल पर हमला न करके अजरबैजान और इराकी कुर्दिस्तान में मौजूद इजरायल के बेस और मोसाद के ठिकानों पर हमला किया जाए.


अयातुल्लाह खामेनेई ने दिया है आदेश
ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स सीधे-सीधे इजरायल की राजधानी तेल अवीव और दूसरे शहरों के मिलिट्री बेस पर हमला करना चाहती है. इस हमले के लिए इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई से भी आदेश मिल चुका है. ईरान में कोई भी आखिरी फैसला लेने का अधिकार उस देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई के पास है. खामेनेई का कहा ईरान में कोई नहीं टाल सकता है. ऐसे में ये तय है कि किसी भी जंग से पहले ईरान की सेना और ईरान के नए-नए बने राष्ट्रपति मसूद पजशेकियान के बीच ही जंग हो सकती है.


ईरान की सेना और राष्ट्रपति तकरार?
इसकी वजह एक और भी है और वो वजह ईरान में हाल ही में हुआ राष्ट्रपति चुनाव है. उस चुनाव में ईरान की सेना इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सईद जलीली का समर्थन किया था. लेकिन ईरान की जनता ने सईद जलीली की बजाय मसूद पजशेकियान को अपना नया राष्ट्रपति चुना. ऐसे में नए राष्ट्रपति और ईरान की सेना के बीच सबकुछ ठीक तो नहीं ही है. बाकी भले ही ईरान अपने घरेलू झगड़ों में उलझा हुआ हो, उसके हमले का डर तो दुनिया को है ही. इसी वजह से इजरायल ने अपने नागरिकों को कह दिया है कि वो खाना और पानी का स्टॉक कर लें.


अमेरिका ने तैयारी की पूरी
भारत ने एअर इंडिया की तेल अवीव की सारी फ्लाइट्स कैंसल कर दी हैं. वहीं ईरान के संभावित हमले को देखते हुए अमेरिका ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है. उसने अपनी मिसाइल गाइडेड सबमरीन यूएसएस जॉर्जिया और नेवी के एडवांस एयरक्राफ्ट करियर यूएसएस अब्राहम लिंकन को मिडिल ईस्ट में तैनात कर दिया है, जहां पहले से ही यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट एयरक्राफ्ट करियर तैनात है. इन तीनों के एक साथ आ जाने से अमेरिका अब इस हाल में है कि अगर ईरान ने हमला किया और लेबनान का हिजबुल्लाह, यमन का हूती और फिलिस्तीन का हमास भी साथ में आ जाएं तो अमेरिका के पास इतनी ताकत रहेगी कि वो उसका मुकाबला कर सके और इजरायल की हिफाजत कर सके.


ईरान में कब होगा तख्तापलट
अमेरिका को इसकी जरूरत तब पड़ेगी जब ईरान हमले के लिए तैयार हो. ईरान में राष्ट्रपति और सेना के बीच का झगड़ा ही ऐसा है कि अगर ईरान को इजरायल पर सीधे हमला करना होगा तो सबसे पहले तो ईरानी सेना को अपने राष्ट्रपति का तख्तापलट करना होगा, अपने पक्ष का नया राष्ट्रपति बनाना होगा और तब वो इजरायल पर हमला करने में सक्षम हो पाएगा. ऐसे एक्सपर्ट का मानना है कि ईरान की सेना तख्तापलट भी कर सकती है, लेकिन इसमें लंबा वक्त लग सकता है.


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