लंदन: ब्रिटेन में भारतीय मूल के एक प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ ने कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के लिए खराब खुराक को एक अहम वजह बताया. उन्होंने भारतीयों को चेताया है कि वे वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनाने के लिए पैकेट बंद खाने वाली चीजों का इस्तेमाल कम से कम करें.


ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में टॉप रैंक डॉक्टरों में शामिल डॉक्टर असीम मल्होत्रा ने बताया कि मोटापा और जरूरत से ज्यादा वजन एक बड़ी समस्या है और कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख कारक के रूप में इसका निदान करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, " भारत में जीवन शैली से संबंधित बीमारियों के ज्यादा होने की वजह से भारत खासकर संवेदनशील है."


डॉ मल्होत्रा कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने के मिशन पर हैं. दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर ने कहा, "टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी कोविड-19 से मौत के खतरे को बढ़ाती हैं. इनका कारण ज्यादा वजन और मेटाबोलिज्म संबंधी विकार हैं. "


अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ पश्चिमि देशों में इस घातक वायरस से मुत्यु दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसके अस्वास्थ्यकर जीवन शैली से संबंधित होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि अमेरिका और ब्रिटेन में 60 फीसदी से ज्यादा वयस्कों का वजन अधिक है.


मल्होत्रा ने कहा कि अगर लोग स्वस्थ जीवन शैली के जरिए मेटाबोलिक स्वास्थ्य के मापदंडो को बनाए रखने की कोशिश करें तो वे अपनी खुराक में बदलाव करके कुछ हफ्तों में ऐसा कर सकते हैं.


'नेचर' विज्ञान पत्रिका में हाल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबोलिज्म संबंधी विकार से पीड़ित लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने पर उनकी मौत होने का खतरा 10 गुना ज्यादा हो सकता है.


डॉक्टर ने कहा, "जीवनशैली में बदलाव स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं और इससे दवा की आवश्यकता कम हो जाएगी." उन्होंने "अल्ट्रा प्रोसेस्ड या अति प्रसंस्कृत खाद्य" के सेवन को बंद करने की सलाह दी है. इसमें पैकेट बंद खाद्य सामग्री होती है जिनमें चीनी, अस्वास्थ्यकर तेल और प्रिजर्वेटिव आदि ज्यादा होते हैं.


डॉक्टर ने कहा, "मैं भारतीयों को सलाह देता हूं कि वे अपनी खुराक में से इन खाद्य सामग्री को पूरी तरह से निकाल दें." उन्होंने कहा, "इसके अलावा, भारतीय रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट भोजन का सेवन उच्च मात्रा में करते हैं. यह भोजन अगर अधिक मात्रा में लिया जाता है तो नुकसानदेह होता है क्योंकि यह शर्करा और इंसुलिन को बढ़ाता है और यह टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी की वजह है. इसमें आटे और चावल का अधिक सेवन भी शामिल है.’’


डॉक्टर मल्होत्रा ने कहा कि इसे भोजन में सब्जियां और फल को शामिल करके बदला जा सकता है और जो लोग मांसाहार का सेवन करते हैं, वे रेड मीट और अंडा, मछली आदि खा सकते हैं.


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