COVID-19 Cases: कोरोना महामारी की तबाही के बाद अब दुनियाभर के लोग थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं. वैक्सीन और बूस्टर डोज लगाए जाने के बाद कोरोना की तबाही पर कुछ हद तक लगाम लगी है. हालांकि ये खतरनाक वायरस हर बार अपना रूप बदलकर सामने आता है, जो पहले से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं. अब सर्दियों से पहले लोगों को एक बार फिर डर सता रहा है कि कोरोना मामलों में इजाफा शुरू न हो जाए. हालांकि एक रिपोर्ट में ये साफ कर दिया गया है कि इस बार सर्दियों में कोरोना मामलों में उतनी तेजी नहीं देखी जाएगी.
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्युएशन (IHME) की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई है. IHME ने अपनी रिसर्च में बताया है कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होने वाली है. जारी आंकड़ों के मुताबिक अभी औसत 1660 मौतें हो रही हैं, जो फरवरी में दो हजार के पार हो सकती हैं.
अमेरिका में बढ़ सकते हैं मामले
अमेरिका को लेकर इस स्टडी में बताया गया है कि यहां संक्रमण की दर कुछ हद तक बढ़ सकती है, क्योंकि स्कूल जाने वाले बच्चों में इस सीजन के दौरान मौसम बदलने से होने वाली बीमारियां भी आम हो जाती हैं. वहीं जर्मनी को लेकर IHME ने कहा है कि यहां पहले से ही कोरोना मामलों में तेजी देखी जा रही है, वहीं फरवरी के महीने तक ये काफी हद तक कम हो जाएगा. यानी सर्दियों में यहां कोरोना मामलों में तेजी नहीं देखी जाएगी.
यूरोप के देशों में फैल सकता है ये वेरिएंट
हालांकि IHME ने ये अनुमान लगाया है कि जर्मनी में मौजूद कोरोना वेरिएंट BQ.1 और BQ.1.1 का असर आने वाले हफ्तों में यूरोप के अन्य देशों में भी देखने को मिल सकता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन वेरिएंट्स के चलते जर्मनी में 2020 के बाद अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
इस रिपोर्ट में कोरोना के XBB वेरिएंट का भी जिक्र किया गया है. जिसका प्रकोप सिंगापुर में काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है. इस वेरिएंट के चलते यहां हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. हालांकि ये कोरोना का वेरिएंट तेजी से फैल जरूर रहा है, लेकिन जानलेवा नहीं है.
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