COVID-19: कोरोना वैक्सीन के 60 मिलियन डोज के लिए 500 मिलियन पाउंड खर्च करेगी ब्रिटिश सरकार
ब्रिटेन की सरकार ने GlaxoSmithKline (GSK) और Sanofi Pasteur से समझौता किया है. चौथी कोरोना वैक्सीन की 60 मिलियन खुराक के लिए सरकार 500 मिलियन पाउंड खर्च करेगी.
कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन या दवा की तलाश जारी है. सरकारें फार्मा कंपनियों से समझौता कर रही हैं या फिर जल्द से जल्द दवा के विकास में मदद कर रही हैं. ब्रिटेन की सरकार ने खुलासा किया है कि उसने GlaxoSmithKline (GSK) और Sanofi Pasteur से समझौता किया है. चौथी कोरोना वैक्सीन की 60 मिलियन खुराक के लिए समझौता 500 मिलियन पाउंड में किया गया है. हालांकि वैक्सीन का अभी तक मानव परीक्षण नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि अगर वैक्सीन नतीजे में कामयाब रही तो ब्रिटेन में फ्रंटलाइन हेल्थ, सोशल केयर वर्कर्स और कोरोना वायरस संक्रमण के ज्यादा खतरे वाले समूहों को टीका दिया जा सकता है.
कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग जारी
वैक्सीन के अगले साल के छठे महीने में आने की संभावना है. व्यावसायिक मामलों के मंत्री आलोक शर्मा ने कहा, “हमारे वैज्ञानिक और शोधकर्ता अबतक की सबसे तेज और बड़े पैमाने पर सुरक्षित वैक्सीन विकसित करने की दौड़ में लगे हैं. ये शानदार है मगर सच्चाई यही है कि अभी कोई गारंटी है.” सितंबर में वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू होगा. उसके बाद दिसंबर में तीसरे चरण का ट्रायल किया जाएगा. इस महीने ब्रिटेन की सरकार फार्मा कंपनी BioNTech से 30 मिलियन डोज का समझौता करने में सफल रही. BioNTech फार्मा कंपनी फाइजर के साथ वैक्सीन प्रोजेटक्ट से जुड़ी हुई है. जबकि फ्रेंच फर्म Valneva से सरकार ने 60 मिलियन डोज खरीदने के लिए अनुंबध किया है. हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि वैक्सीन के डोज की कीमत कितनी अदा की गई है.
अलग-अलग कंपनियों से वैक्सीन के समझौते
Valneva की वैक्सीन अभी प्री क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में है. AstraZeneca और University of Oxford से भी सरकार ब्रिटेन के लिए 100 मिलियन डोज बनाने के लिए समझौता कर चुकी है. AstraZeneca और University of Oxford की वैक्सीन ट्रायल के तीसरे चरण में है. सरकार इम्पीरियल कॉलज लंदन के साथ भी काम कर रही है. जिससे वैक्सीन के विकास की गति को तेज किया जा सके. इम्पीरियल कॉलेज की वैक्सीन का मानव परीक्षण जून में शुरू हुआ था.
सरकार के वैक्सीन टास्क फोर्स की प्रमुख केट बिंघम ने कहा, “अलग-अलग तरह की वैक्सीन महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें नहीं मालूम उनमें से कौन सी वैक्सीन कोविड-19 के लिए सुरक्षित और सुरक्षा प्रदान करनेवाली होगी. ये समझौते बहुत अच्छी खबर है. हमें अति आशावादी या आत्म संतुष्ट नहीं होना चाहिए. सच्चाई यही है कि अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो कभी भी वैक्सीन हासिल नहीं कर सकते. इसलिए हमें तैयार रहना चाहिए.”
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