COVID-19: तीसरी बूस्टर डोज से कोरोना से होने वाली मौतों में 90% की कमी आई, जानिए कैसे रही ये असरदार
COVID-19: कोरोना मरीजों पर यहां की गई स्टडी से निकला निष्कर्ष यह जाहिर करता है कि लोग यदि तीसरी बूस्टर डोज लेंगे तो कोरोना से होने वाली मौतों का जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा.
COVID-19 Booster Dose: कोरोना महामारी से बचाव के लिए कुछ देशों में लोगों को कोविड वैक्सीन के अलावा बूस्टर डोज भी दिया जा रहा है. बूस्टर डोज को लेकर एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि तीसरी बूस्टर डोज से कोरोना मरीजों की मौतों में 90% की कमी आई है. यानी, लोगों के बचाव के लिए तीसरी बूस्टर डोज आवश्यक है.
तीसरी बूस्टर डोज से कोरोना मरीजों की मौतें कम हुईं
हॉन्ग कॉन्ग (Hong Kong) में की गई एक स्टडी में ऐसा ही दावा किया गया है. स्टडी के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज (Third Covid Booster) पहले की दो डोज की तुलना में ज्यादा असरदार रही, यही वजह है कि कोविड पीड़ितों की मौतों में 90% की कमी दर्ज की गई. वहीं, विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं वाले उन लोगों की मौत का आंकड़ा ज्यादा रहा, जिन्होंने केवल 2 एंटी कोविड डोज ली थीं.
इस स्टडी के बारे में कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल (Canadian Medical Association Journal) ने रिपोर्ट छापी है, जिसमें 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के डेटा की तुलना दो या दो से अधिक पुरानी समस्याओं, जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और क्रोनिक किडनी रोग के पीड़ितों से की गई, जिनमें केवल 2 डोज लेने वाले लोगों और नवंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच तीसरी डोज लेने वालों पर रिसर्च किया गया.
हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ एस्तेर चैन ने बताया, “हमें मल्टीमॉर्बिडिटी वाले वयस्कों में कोरोनावायरस से संबंधित मौत का जोखिम काफी कम मिला, जिन्हें BNT162b2, एक mRNA वैक्सीन या कोरोनावैक, एक निष्क्रिय संपूर्ण-वायरस वैक्सीन की होमोलॉगस बूस्टर खुराक मिली” उन्होंने आगे कहा, “ये रिजल्ट ओमिक्रॉन के प्रकोप के बीच मल्टीमॉर्बिडिटी वाले लोगों में मृत्यु दर को कम करने में 2 अलग-अलग टेक्नोलॉजी प्लेटफार्मों के वैक्सीन की बूस्टर डोज की प्रभावशीलता का समर्थन करते हैं.”
हॉन्ग कॉन्ग ओमिक्रॉन बीए.2 वेरिएंट से बहुत प्रभावित हुआ था
रिसर्चर के मुताबिक, वर्ष 2021 के अंत में ओमिक्रॉन (बीए.2) वेरिएंट ने हॉन्ग कॉन्ग को प्रभावित किया. जहां 75 लाख लोगों की आबादी के सापेक्ष दुनिया भर में उच्चतम कोरोना मृत्यु दर दर्ज की गई. 11 नवंबर 2021 से, वहां बुजुर्ग, हेल्थ केयर प्रोफेशनल और अन्य प्राइमरी ग्रुप BNT162b2 mRNA (फाइज़र-बायोएनटेक) या कोरोनावैक (सिनोवैक) वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने लगे थे. 1 जनवरी 2022 तक अन्य सभी भी डोज लेने लगे, जिसके परिणामस्वरूप 2022 के पहले 4 महीनों में 30 लाख से अधिक लोगों को बूस्टर डोज मिल चुकी थी.
हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी की स्टडी में फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन लगवाने वाले 120,724 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से 87289 ऐसे थे, जिन्हें बूस्टर डोज मिला था और 127,318 कोरोनावैक लेने वाले थे, इनमें भी 94,977 ऐसे थे जिन्हें बूस्टर लगा था.
कोरोनावैक की डोज वालों की मौतें अधिक हुईं
रिसर्चर ने कहा कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन लेने वालों की तुलना में कोरोनावैक की डोज वालों की मौतें अधिक हुईं. उन्होंने कहा कि यह रिजल्ट विशेष रूप कमजोर आबादी में बूस्टर ड्राइव से संभावित लाभ को उजागर करते हैं. साथ ही पहले बूस्टर से परे एसएआरएस-CoV-2 टीकों के भविष्य के बूस्टर डोज के लिए पुराने लोगों और पुरानी समस्याओं वाले लोगों पर हाल के आंकड़े भारी पड़ रहे हैं. अब हांगकांग में हुई ताजा स्टडी ऐसे ही कई सबूतों के आधार पर यह समझाने में सफल होगी कि तीसरी बूस्टर डोज को बढ़ावा देने से कोरोना से होने वाली मौतों से बचाव की मजबूत सुरक्षा मिलती है.
हांगकांग यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ने कहा, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि इस समय पर, बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय ने महामारी के बीच मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से कई समस्याओं से ग्रसित लोगों के मामले में."
यह भी पढ़ें: कांग्रेस ने आर्थिक सर्वे पर सवाल उठाए, पूछा- 'क्या 2023-24 के लिए GDP ग्रोथ 5.44% होगी'