Cow Therapy: ऑस्ट्रेलिया में बज रहा भारतीय नस्ल की गायों का डंका, ऑटिज्म और मानसिक रोगियों को काऊ थेरेपी से मिल रहा फायदा
Cow Benefits: ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थ क्वींसलैंड में काऊ कडलिंग सेंटर बनाया गया है. यहां ऐसे लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं जो मानसिक रूप से बीमार हैं या ऑटिज्म से पीड़ित हैं. यहां उन्हें सुकून मिल रहा है.
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Cow Cuddling Therapy for Mental Patients in Australia: भारत में हिंदू धर्म गाय को मां मानते हुए इसकी पूजा करता है. गोमूत्र और गोबर से कई बीमारियों के इलाज के दावे भी किए जाते हैं. इसे लेकर कई लोग सवाल भी उठाते हैं. ये बेशक जांच और रिसर्च का विषय है, लेकिन इन सबसे अलग गाय की शक्ति का लोहा अब विदेशी लोग भी मानने लगे हैं. ऑस्ट्रेलिया से गाय से जुड़ी जो खबर सामने आई है उससे तो यही साबित होता है. ऑस्ट्रेलिया में भारतीय गायों के जरिये मानसिक तौर पर बीमार लोगों का इलाज किया जा रहा है. इस इलाज की प्रक्रिया को काऊ थेरेपी का नाम दिया गया है. इस थेरेपी का फायदा कई लोग उठा रहे हैं. चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
थेरेपी के दौरान गाय के साथ बिताते हैं टाइम, करनी होती है सेवा
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थ क्वींसलैंड में काऊ कडलिंग सेंटर बनाया गया है. इस सेंटर में ऐसे लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं जो मानसिक रूप से बीमार हैं या मानसिक शांति की तलाश में हैं. यहां सेंटर पर गायों के साथ समय बिताकर उन्हें सुकून मिल रहा है. कई लोग यहां से ठीक होकर जा चुके हैं. यहां आने वाले थेरेपी के दौरान गाय के साथ समय बिताते हैं, उनकी सेवा करते हैं.
खुद मरीजों ने बताए इसके फायदे
इस सेंटर में इलाज करा रहे कुछ मरीजों ने मीडिया से बातचीत में यहां आकर हुए फायदों के बारे में बताया. यहां थेरेपी करा रहीं डोना एस्टिल ने बताया कि वह पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, घबराहट और डिप्रेशन से पीड़ित हैं. यहां काफी दिनों से थेरेपी ले रहीं हैं. गायों के साथ समय बिता रहीं हैं. इससे अब धीरे-धीरे वह ठीक भी होने लगी हैं. वह कहती हैं कि एक साल मुझे कोई इसके बारे में कहता तो शायद मैं खूब हंसती, लेकिन इन गायों ने मुझे नया जन्म दिया है. कुछ ऐसी ही कहानी ब्रिस्बेन में रहने वाले 10 साल के पैट्रिक की है. वह ऑटिज्म से पीड़ित है, लेकिन यहां आकर अब ठीक होने लगा है.
इस तरह एमबीए स्टूडेंट को आया इस बिजनेस का आइडिया
काऊ थेरेपी फर्म की शुरुआत करने वाले 34 साल के लॉरेंस फॉक्स ने बताया कि जब मैं एमबीए कर रहा था, तभी मुझे काऊ थेरेपी का बिजनेस करने का आइडिया आया. मैंने कोर्स कंप्लीट करने के बाद इसे शुरू किया. धीरे-धीरे यह पॉपुलर हो गया. लोगों को ठीक होते देखकर अच्छा लगता है. उन्होंने बताया कि बिजनेस शुरू करने के लिए गायों की जरूरत थी. मैंने सभी गायें क्रिप्टोकरेंसी के जरिए खरीदी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इस सेंटर में इलाज कराने वालों से कुछ फीस भी ली जाती है. यह काऊ थेरेपी इतनी तेजी से मशहूर हो रहीं हैं कि इस साल से 4 NDIS कंपनियां (नेशनल डिसेबिलिटी इंश्योरेंस स्कीम) इसे अपनी नई स्कीम में भी कवर करने की योजना बना रही हैं. स्कीम के लिए भारतीय नस्ल की गायों को चुना गया है, क्योंकि वे शांत होती हैं.
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