Russia Luna-25 : चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने में भारत के चंद्रयान- 3 और रूस के लूना-25 के बीच होड़ थी. रूस ने भारत के चंद्रयान- 3 के बाद अपने लूना-25 मून मिशन को लॉन्च किया था हालांकि रूस अंतरिक्ष में भारत से पहले पहुंचना चाहता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और लूना 25 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया. यह घटना रूस के लिए एक बड़े झटके की तरह था. अब अमेरिकी स्पेस कंपनी नासा ने उस जगह को खोज निकाला है, जहां रूस का लूना 25 क्रैश हुआ था. 


स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, नासा ने गुरुवार को घोषणा की कि उसके लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्ष यान ने एक गड्ढा देखा है, जो रूस के लूनर मिशन लूना-25 का मलबा हो सकता है. बता दें कि लूना-25 स्पेसक्राफ्ट बीते 19 अगस्त को क्रैश हुआ था. नासा  कि संभवतः जहां रूस का लूना-25 क्रैश हुआ हुआ था, वहां एक बड़ा क्रेटर बन गया है. 


क्रैश होने के बाद ली गईं तस्वीरें 


गौरतलब है कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 21 अगस्त को लूना-25 के क्रैश हो जाने की खबर दी थी. जिसके बाद नासा में एलआरओ टीमों ने अगले ही दिन साइट की तस्वीरें खींचने के लिए अंतरिक्ष यान को आदेश भेजे. जिसमेक्रैश से पहले और बाद की तस्वीरें हैं और इन तस्वीरों में साफ अंतर देखा जा सकता है. दरअसल, क्रियश की बाद की तस्वीरों में नासा को एक छोटा सा नया गड्ढा दिखाई दे रहा है. जिसे संभवत: लूना-25 से जोड़ कर देखा जा रहा है. नासा ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया है कि लूना-25 जहां क्रैश हुआ था, वहां की तस्वीरों को खींचने का सिलसिला 24 अगस्त को दोपहर 2.15 बजे से शुरू हुआ, जो लगभग 4 घंटे में पूरा हुआ. इससे पहले नासा ने इस जगह की तस्वीर जून 2022 में ली थी. 


33 फीट चौड़ा मिला गड्ढा 


नासा के अधिकरियों के बयान के अनुसार, नया गड्ढा लगभग 33 फीट (10 मीटर) चौड़ा है और यह गड्ढा लगभग 57.865 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 61.360 डिग्री पूर्वी देशांतर पर लगभग 360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. जिस प्वाइंट पर लूना 25 उतरने वाला था, यह गड्ढा वहां लगभग 400 किलोमीटर दूर है.


रूस चाहता था सॉफ्ट लैंडिग


गौरतलब है कि रूस ने 47 साल बाद अपने मून मिशन को लॉन्च किया था, जो इस बार असफल रहा. रूस की योजना चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस मानवरहित यान की सॉफ्ट लैंडिग कराने की थी लेकिन लैंडिंग से पहले कक्ष में खुद को स्थापित करने में आई तकनीकी दिक्कतों के बाद ये यान क्रैश हो गया. रूस ने 10 अगस्त को लूना-25 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था. इससे पहले 1976 में रूस ने अपना पहला स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था. 


भारत ने रचा इतिहास 


वहीं, दूसरी तरफ 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान-3 उपग्रह ने बुधवार शाम विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इतिहास रच दिया.  इस सफलता के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया.


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