Presidential Election In Sri Lanka: श्रीलंका (Sri Lanka) में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव (Presidential Election) के लिए साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) जो कि विपक्ष के एक बड़े उम्मीदवार थे उनके चुनाव मैदान से हटने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है, क्योंकि अब मुख्य मुकाबला कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) और सत्ताधारी एसएलपीपी (Sri Lanka Podujana Peramuna) के सांसद डलास अलाहाप्पेरुमा (Dallas Alahapperuma) के बीच माना जा रहा है.
जब तक साजिथ प्रेमदासा इस रेस में बने हुए थे तब इस रानिल विक्रमसिंघे की जीत लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं क्योंकि अब राजपक्षे परिवार की पार्टी जो फिलहाल सत्तारूढ़ पार्टी भी है यानी कि एसएलपीपी के ही सांसद डलास अलाहाप्पेरुमा ने रानिल विक्रमसिंघे को चुनौती दे दी है. जबकि डलास के नामांकन से पहले यह माना जा रहा था कि एसएलपीपी के लगभग सभी सांसद रानिल विक्रमसिंघे का ही समर्थन करेंगे क्योंकि वह राजपक्षे परिवार के करीबी हैं.
कौन हैं अलाहाप्पेरुमा?
बात की जाए डलास अलाहाप्पेरुमा की तो वह कुछ वर्ष पहले तक जब गोटाबाया राजपक्षे देश के राष्ट्रपति थे और रानिल विक्रमसिंघे देश के प्रधानमंत्री थे तो वह उन्हीं के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री थे. अब बदलते समीकरण के बीच डलास अलाहाप्पेरुमा ने ही रानिल विक्रमसिंघे की उम्मीदवारी को चुनौती दे दी है. डलास के इस रेस में उतरने के कारण अब एसएलपीपी जो राजपक्षे परिवार की पार्टी कही जाती है उसमें मत विभाजन हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो वह रानिल विक्रमसिंघे के लिए एक बड़ी मुश्किल पैदा करेगा.
जानकारों के मुताबिक डलास अलाहाप्पेरुमा के पास समूचे विपक्ष का तो वोट है ही उसके साथ ही राजपक्षे परिवार की पार्टी जिससे खुद डलास अलाहाप्पेरुमा भी आते हैं और जिसकी सरकार में वो मंत्री भी रहे हैं उसके भी कई सांसद डलास के पक्ष में मतदान कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो विपक्ष के वोट हासिल करने के साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े वोट भी डलास के साथ जुड़ जायेंगे.
इससे रानिल विक्रमसिंघे की जो जीत लगभग तय मानी जा रही थी वो एक कड़े मुकाबले में तब्दील हो जाएगी और अगर डलास अपने साथ सत्तारूढ़ पार्टी एसएलपीपी के करीब एक तिहाई सांसदों का भी समर्थन हासिल कर लेते हैं तो वह रानिल विक्रमसिंघे को मात भी दे सकते हैं और श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं.
डलास अलाहाप्पेरुमा की बात की जाए तो वह श्रीलंका के लिए ऐसा चेहरा हैं कि जिसका कोई विरोध फिलहाल अब तक सामने नहीं आया है. जबकि राजपक्षे परिवार से जुड़े हुए तमाम नेताओं और खुद रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के लोग लगातार राजपक्षे परिवार के करीबी के तौर पर देखते रहे. ऐसे में रानिल विक्रमसिंघे का भी लगातार विरोध चलता रहा है. इसी वजह से प्रदर्शनकारियों ने तमाम सांसदों से भी अपील की है कि वो रानिल विक्रमसिंघे को हराने के लिए मतदान करें और अगर कोई सांसद ऐसा नहीं करेगा तो वो जनता के गुस्से का शिकार होने के लिए तैयार रहे.
इस सबके बीच विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की है कि देश का नया राष्ट्रपति कोई भी क्यों न बने लेकिन भारत जिस तरह से लगातार इस मुश्किल वक्त में श्रीलंका की मदद कर रहा है वह आगे भी जारी रखे. साजिथ प्रेमदासा ने दो दिन पहले भी एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार से ऐसी की अपील की थी.
गौरतलब है कि जब से श्रीलंका (Sri Lanka) में आर्थिक संकट (Economic Crisis) के हालात खड़े हुए हैं, तब से भारत (India) ही एकमात्र ऐसा देश है जो लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है और यह बात श्रीलंका की आम जनता से लेकर राजनीति तक सब समझ रहे हैं. इसी वजह से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और भारत सरकार से अपील की जा रही है कि बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच भारत अपने रुख में बदलाव ना करें क्योंकि भारत की मदद के सहारे श्रीलंका इस संकट से निकलने का रास्ता खोजने की कोशिश में लगा है.
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