नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने एक बार फिर से कालापानी का राग छेड़ा है. उन्होंने यह बातें ऐसे वक्त पर कही है जब अगले कुछ दिनों में नेपाल के विदेश मंत्री की भारत यात्रा होने वाली है. ऐसा माना जा रहा है कि भारत-नेपाल की विदेश स्तरीय वार्ता में काफी समय से दोनों देशों के बीच लंबित पड़े मुद्दों को उठाया जा सकता है. इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने रविवार को एक बार फिर से कालापानी का राग छेड़ दिया है. समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, पीएम केपी ओली ने कहा कि भारत की तरफ से लंबे समय से ‘कब्जा’ किए गए कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को वापस लेंगे.
नेशनल एसेंबली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली के भारत दौरे का एक बड़ा एजेंडा सीमा विवाद है. ज्ञावली अपने भारतीय समकक्षीय एस. जयशंकर के न्यौते पर विदेश मंत्री स्तर के छठे नेपाल-भारत संयुक्त आयोग बैठक में हिस्सा लेने के लिए 14 जनवरी को भारत आ रहे हैं.
ओली ने कहा कि सुगौली समझौते के मुताबिक, कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख महाकाली नदी के पूर्व में स्थित है और यह नेपाल का हिस्सा है. ओली ने कहा- हम भारत के साथ कूटनीतिक वार्ता करेंगे और हमारे विदेश मंत्री भी भारत जा रहे हैं.
गौरतलब है कि केपी ओली वहां की राष्ट्रीय राजनीति में 2016 में आज जब भारत ने यहां से जा रही चीजों पर रोक लगा दी थी. ओली को साल 2017 के चुनावों में 63 फीसदी वोट मिले थे. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने के बाद ओली ने 20 दिसंबर को संसद भंग करने का ऐलान करते हुए 30 अप्रैल और 10 मई को चुनाव का ऐलान किया है.
हालांकि, उनके इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस पर सुनवाई चल रही है. संसद भंग करने के ओली के फैसले का नेपाल और अंदर और भारी आलोचना की गई. इसके साथ ही, उनकी अपनी ही पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी इस पूरे मुद्दे पर दो धरे में बटी हुई नजर आई.
ये भी पढ़ें: नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच ड्रैगन को एक और झटका दे सकते हैं प्रधानमंत्री केपी ओली