World Dead Water: नदी-तालाबों में कई बार मछलियों के मरने की घटना आपने सुनी और देखी होगी, लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी असल समस्या क्या है और यह कितनी खतरनाक होती जा रही है. मनुष्य और धरती के ऊपर रहने वाले जीवों के लिए जितनी महत्वपूर्ण बाहरी ऑक्सीजन है, पानी में रहने वाले जीवों के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण पानी की ऑक्सीजन है. लेकिन पानी की ऑक्सीजन धीरे-धीरे खत्म हो रही है, जिससे आने वाले समय में इसका असर मनुष्यों पर भी पड़ सकता है. 


दरअसल, दुनियाभर के सभी जलनिकायों में डेड वाटर एरिया बढ़ रहा है. यानी पानी में ऑक्सीजन की कमी हो रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह इसी तरह से जारी रहा तो दुनियाभर में बड़ा संकट आ सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी स्थिति में तेजी से पानी में रहने वाले जीवों की मृत्यु होने लेगेगी, जिसका गंभीर असर मनुष्यों पर भी पड़ेगा. 
 
ऑक्सीजन की कमी से मर रहे जलीय जीव
पानी में घुली ऑक्सीजीन (DO) स्वस्थ जलीय इकोनॉमी के लिए बहुत जरूरी है. चाहे वह मीठे पानी का निकाय हो या खारे पानी का समुद्र हो. इसमें रहने वाले जीव तभी तक जिंदा रहेंगे जबतक उसमें ऑक्सीजन है. वहीं जलीय जीव मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी हैं, ऐसे में इनकी मौत हो जाने पर दुनिया पर सबसे बड़ा संकट आ जाएगा. 


इन वजहों से पानी का ऑक्सीजन हो रहा कम
वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी की ऑक्सीजन कम होने की कई वजह हैं. इसमें पानी का गर्म होना भी है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनियाभर के जल निकायों का पानी गर्म हो रहा है, जिसकी वजह से तेजी से पानी की ऑक्सीजन कम हो रही है. इसके अलावा कारखानों से निकलने वाली गैसों और उसके गंदे पानी भी तेजी से जल में घुली ऑक्सीजन को सोख लेते हैं. वहीं खेतों में भारी मात्रा में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग भी इसपर बुरा असर डाल रहा है. इस तरह के तत्व पानी के ऑक्सीजन को तेजी से खत्म कर देते हैं. 


पानी शुद्धता में आ रही कमी
पानी में ऑक्सीजन की कमी से उसमें रहने वाले जीवों का दम घुटने लगता है, ऐसे में उनकी मौत हो जाती है. इसका देर-सबेर बड़ी प्रजातियों पर भी पड़ता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि डीऑक्सीजनेशन से जलीय जीवन चक्र पर गहरा असर पड़ रहा है, जिसका असर पानी की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा. ऐसी स्थिति में पानी शुद्ध नहीं रह जाएगा और इसका सीधा असर मनुष्यों पर पडे़गा. 


पानी में कितना कम हुआ ऑक्सीजन
वैज्ञानिकों ने बताया है कि साल 1950 से अब तक महासागरों में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा में 2 फीसदी की कमी आ गई है. कुछ क्षेत्रों में 20-50 फीसदी तक की गंभीर कमी देखी गई है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल 2100 तक समुद्री ऑक्सीजन में 3-4 फीसदी की कमी हो सकती है. 


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