Russia Deal With India: रूस ने भारत को करोड़ों बैरल कच्चा तेल बेचकर कमाए गए रुपयों को खर्च करने का एक तरीका ढूंढ लिया है. दरसअल, रूस ने अब अपने खजाने में मौजूद भारतीय रुपयों को खर्च करने के लिए एक भारतीय शिपयार्ड को 24 मालवाहक जहाजों का ऑर्डर दिया है. गौरतलब है कि पेमेंट में आ रही समस्याओं के कारण रूस के एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की दो बैट्री की डिलीवरी में देरी हो रही थी. 


ऐसे में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और रूसी निर्यात केंद्र के बीच सहयोग की घोषणा हुई. बता दें कि रूसी अधिकारी एस-400 की शेष दो बैटरियों की डिलीवरी कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए भारत में थे. माना जा रहा है कि भारत सरकार के स्वामित्व वाली GSL 2027 तक 24 मालवाहक जहाजों का निर्माण कर देगी जो कैस्पियन सागर में चलेंगी.


ये डील दोनों देशों के लिए फायदेमंद  


मालूम हो कि पश्चिम के प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से व्यापार कर रहा है. यह डील दोनों ही देशों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है. गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2022 में भारत ने रूस को मशीनरी, रसायन, समुद्री उत्पाद और दवाइयों समेत 3,139 चीजों का निर्यात किया, जिसकी कीमत 3.14 अरब अमेरिकी डॉलर थी. वहीं, आयात के मामले में, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में रूस से 1,225 वस्तुओं का आयात किया, जिनमें कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती पत्थर और वनस्पति तेल शामिल हैं, जिनकी कीमत 46.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.


अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना चाहते दोनों देश 


2022 में, ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि क्रेमलिन के विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया गया था और रूस को स्विफ्ट नेटवर्क से बाहर कर दिया गया था. भारत ने इसके कारण रूस को अमेरिकी डॉलर में भुगतान करने से इनकार कर दिया. दोनों देशों ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए एस-400 के लिए भारतीय रुपये में भुगतान करने का फैसला किया था. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध ने मास्को को आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया है. 


पोलिटिको के अनुसार, एनालिटिक्स फर्म केप्लर की ओर से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2023 तक भारत पहले ही आधा बिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल खरीद चुका है जो कि युद्ध से एक साल पहले, 2021 के बाद से लगभग दस गुना अधिक है. 


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