26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में तोड़फोड़ की गई. किसानों ने तय रणनीति के तहत ट्रैक्टर रैली निकाली, इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई. प्रदर्शनकारी कई जगहों पर बैरिकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और जबरन तोड़फोड़ की. वहीं, अब खालिस्तानी समर्थकों ने भी किसानों का समर्थन कर दिया है. कई खालिस्तानी समर्थक अमेरिका के वाशिंगटन डीसी स्थित इंडियन एम्बेसी पहुंचे और किसानों का समर्थन करते हुए प्रोटेस्ट किया. इस दौरान उन्होंने खालिस्तान का झंडा भी फहराया.
उन्होंने कहा, "हम किसान हैं, कोई आतंकवादी नहीं. इंडियन गवर्नमेंट को नए कृषि कानूनों पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है. हम किसानों की मांग का समर्थन करते हैं और गवर्नमेंट से अपील करते हैं कि इन कानूनों को जल्द से जल्द वापस लिया जाए."
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प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिस पर किया हमला
26 जनवरी को सेंट्रल दिल्ली के आईटीओ में प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े गए. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड को तोड़कर पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की. हालांकि, किसानों के उग्र प्रदर्शन से किसान नेता ने पल्ला झाड़ लिया है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें हिंसक घटना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. राकेश टिकैत ने कहा कि रैली शांतिपूर्ण हो रही है. मुझे हिंसा के बारे में जानकारी नहीं है.
हिंसा को लेकर 7 FIR दर्ज
ट्रैक्टर मार्च में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने 7 FIR दर्ज की है. गाजीपुर, अक्षरधाम, आईटीओ, लालकिले, मुकरबा चौक समेत कई इलाकों में हिंसा और तोड़फोड़ मामले में मुकदमा दर्ज हुआ है. दिल्ली की सड़कों पर तलवारें लहराने की तस्वीरें भी सामने आई हैं. अक्षरधाम के पास निहंग किसानों ने नंगी तलवारें लहराकर दहशत फैलाने की कोशिश की गई.
देर रात आंदोलनकारियों से खाली कराया गया लाल किला
26 जनवरी पर ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद दिल्ली छावनी बन गई है. पुलिस के साथ CRPF की 15 कंपनियां तैनात कर दी गई हैं. देर रात आंदोलनकारियों से लाल किला खाली करा दिया गया. उपद्रव में 86 पुलिसकर्मी घायल हो गए. ट्रैक्टर पलटने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई. अब तक 7 FIR दर्ज की जा चुकी हैं.
अपनी मांगों को लेकर दो महीने से आंदोलन कर रहे किसान
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान दो महीने से दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं. इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.
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