वॉशिंगटन: अमेरिका में कोरोना महामारी के बीच मनोचिकित्सकों के पास आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इलाज के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों की लिस्ट लंबी होती जा रही है और लोगों में अवसाद (डिप्रेशन) और घबराहट की शिकायतें बढ़ रही हैं. एक शोध में यह पता चला है.
बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मेडिकल जर्नल जेएएमए नेटवर्क ओपन में बुधवार को कहा कि हालिया शोध में ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. इस सर्वे के दायरे में आए अमेरिकी व्यस्कों में से आधे में अवसाद के कोई न कोई लक्षण देखने को मिले हैं. उनमें निराशा, विफल होने जैसी मनोदशा और काम करने में बेहद कम खुशी मिलना शामिल है. मौजूदा दर दो साल पहले हुए इसी तरह के सर्वेक्षण की दर की तुलना में दोगुनी है.
क्या है परेशानी का कारण
अध्ययन में सामने आया है कि कुछ लोग महामारी में अपनों को खोने से परेशान हैं तो कुछ लोग आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. वहीं कुछ सामाजिक दूरी की वजह से अलग-थलग पड़ने से भी मानसिक परेशानियां के शिकार हुए हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा देश में पिछले कुछ महीनों से नस्ली और राजनीतिक तनाव की वजह से भी लोगों में बैचैनी बढ़ी है. हालांकि यह अध्ययन हालिया गतिरोध से पहले ही हो चुका था. इस शोध में अप्रैल में अमेरिका के 1,440 व्यस्कों को शामिल किया गया था. उनसे अप्रैल में अवसाद के लक्षणों के बारे में सवाल पूछे गए थे.
शोध में युवाओं, कम आयुवर्ग के लोगों और महामारी से संबंधित परेशानियों का सामना कर रहे लोगों में अवसाद और बेचैनी की शिकायतें ज्यादा देखी गईं. शिकागो में सिटीस्केप काउंसिंग में कार्यकारी निदेशक चेल्सी हडसन ने कहा, ‘‘हमारे पास युवा पेशेवरों के कई मामले आ रहे हैं जो अकेले रहते हैं. उनके लिए यह बहुत ही मुश्किल है, अलग थलग रहना, लोगों से कोई संपर्क न होना...इस सब से अवसाद बढ़ता है.’’
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