पेशावर: पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिये यह महीना काफी कठिन हालात वाला रहा है. पर्यवेक्षकों ने चेताया है कि आगे ऐसे लोगों के लिये समय और कठिन हो सकता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक बहुलवादी राष्ट्र की स्थापना के साथ ही और अपने रूढ़िवादी इस्लामिक विचारों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं.


पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम पेशावर में एक इसाई को इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि वह मुस्लिम पड़ोसियों के बीच किराये पर रहा रहा था. यह क्षेत्र अफगानिस्तान सीमा से बहुत दूर नहीं है. एक अन्य इसाई पादरी हारून सादिक चीडा, उसकी पत्नी और 12 साल के बेटे की पूर्वी पंजाब में उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने जमकर पिटाई कर दी और उन्हें गांव छोड़ने के कहा गया है.


हमलावर चिल्ला रहे थे- 'तुम काफिर हो.'


इस दौरान एक विपक्षी नेता ने सभी धर्मों को एक समान बता दिया तो उनके खिलाफ ईशनिंदा के आरोप लगा दिए गए. इस्लामिक चरमपंथियों का समर्थन प्राप्त सरकार से संबद्ध एक वरिष्ठ राजनीतिक हस्ती ने राजधानी इस्लामाबाद में बन रहे एक हिंदू मंदिर में निर्माण रूकवा दिया.


धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के लिये विश्लेषकों और कार्यकर्ताओ ने दुविधा में पड़े देश के प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ऐसे सहिष्णु पाकिस्तान की बात करते हैं जहां धार्मिक अल्पसंख्यक बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के बराबर हैं.


उनका कहना है, लेकिन इसी के साथ वह चरमपंथी मुस्लिम मौलवियों के आगे घुटने टेक देते हैं, उनकी मांगों के आगे झुकते हैं और आखिरी फैसला करने में उनकी राय को ऊपर रखते हैं, यहां तक कि सरकारी मामलों में भी.


चरमपंथी तत्व इन सब को समाप्त कर देता है- विश्लेषक


विश्लेषक और लेखक जाहिद हुसैन कहते हैं, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि इमरान खान और अधिक सहिष्णु पाकिस्तान चाहते हैं. वह अल्पसंख्यकों के लिए और अधिक व्यवस्था चाहते हैं, लेकिन समस्या यह है कि वह चरमपंथी तत्वों को सशक्त करते हैं जो इन सब को समाप्त कर देता है. चरमपंथी तत्व इतने सशक्त हो जाते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार पर हुक्म चला रहे हैं.’


खान के प्रवक्ता ने इस संबंध में मैसेज और फोन करने के बावजूद उत्तर नहीं दिया. प्रधानमंत्री के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता इमरान सि​द्दिकी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए चिंता की कोई बात है. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में आक्रामक धर्मगुरू होते हैं लेकिन न तो पाकिस्तान और न ही प्रधानमंत्री इमरान खान उनके दबाव में हैं.


कोरोना वायरस चरम पर होने के बावजूद पाकिस्तान ने मस्जिदों को बंद करने से मना कर दिया


लेकिन फिर भी, धार्मिक कट्टरपंथियों को रियायत दिये जाने की सूची लंबी है. जब कोरोना वायरस पहली बार एक खतरे के रूप में उभरा, तब खान ने दुनिया भर से हजारों इस्लामी मिशनरियों के जमावड़े को रोकने से इनकार कर दिया. उनके पाकिस्तान पहुंचने के बाद खान ने इस आयोजन को रद्द करने का आदेश दिया था.


जब महामारी के चलते सउदी अरब ने अपने मस्जिदों को बंद कर दिया और हज यात्रा को रद्द करने का ऐतिहासिक निर्णय किया, तब भी मौलवियों के विरोध प्रदर्शन के कारण पाकिस्तान ने अपनी मस्जिदों को बंद करने से मना कर दिया.


खान को पदभार संभाले कुछ महीने ही हुए थे कि उन्होंने चरमपंथियों के आगे झुकते हुये अल्पसंख्यक अहमदी मुस्लिम समुदाय के अधिकारी को उनकी बेहतर योग्यता के बावजूद अपने आर्थिक आयोग से हटा दिया.


मौलाना ने कोरोना महामारी के लिए उन महिलाओं को जिम्मेदार बताया जो डांस करती हैं


मरान खान को उस वक्त भी आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब उन्होंने अमेरिका में 9-11 हमले के मुख्य साजिशकर्ता ओसामा बिन लादेन को संसद में खड़ा होकर 'शहीद' करार दे दिया. इस्लामाबाद स्थित खान के आवास पर बेरोकटोक आने जाने वालों में मौलवी, मौलाना तारिक जमील हैं. जिन्होंने एक राष्ट्रीय टीवी चैनल पर कोरोना वायरस महामारी के लिये उन महिलाओं को जिम्मेदार बताया जो डांस करती हैं और छोटे कपड़े पहनती हैं.


जब उनके एक राजनीतिक सहयोगी और पंजाब प्रांत के विधानसभा अध्यक्ष परवेज इलाही ने इस्लामाबाद में बन रहे एक हिंदू मंदिर के निर्माण को इस्लाम के खिलाफ बता कर रूकवा दिया. खान इस्लामिक विचारधारा परिषद के पास इस बात का फैसला कराने के लिये गये कि इसके निर्माण के लिये सरकारी धन का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं. खान ने निर्माण के लिये साठ हजार डालर देने का वादा किया था.


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