क्या चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान संघर्ष के बाद बंदी बनाए गए भारतीय सैनिकों को 'कबूलनामा' के लिए किया था मजबूर?
सवाल यह है कि क्या बंदी बनाए गए सेना का वीडियो बनाना और उसपर जबरन कबूलनामा के लिए दवाब बनाना जेनेवा समझौता का सीधे-सीधे उल्लंघन नहीं है?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते एक बार फिर बीते दिनों दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों के सैनिकों में 9 दिसंबर को हुई इस हिंसक झड़प में भारत ने चीन के करीब 300 से ज्यादा सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया. इस घटना में चीन के 20 सैनिक घायल हुए हैं. चीन तभी से बौखलाया हुआ है.
इस घटना के बाद से ही भारत के खिलाफ चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी प्रोपगेंडा फैला रही है. ऐसे में एक वीडियो चीन द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने गलवान घाटी मे साल 2021 में हुए संघर्ष के दौरान बंदी बनाए गए एक घायल भारतीय सेना अधिकारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया है.
दिप्रिंट की रिपोर्ट, के मुताबिक पीएलए से जुड़े सोशल मीडिया समूहों पर गुरुवार को यह वीडियो सर्कुलेट किया गया. दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो साल 2020-2021 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 20 भारतीय सेना के जवानों के शहीद होने और 10 के पकड़े जाने के कुछ घंटे बाद चीन की सेना द्वारा बनाया गया था.
क्या है चीन के प्रोपगेंडा वीडियो
पीएलए के प्रोपगेंडा वीडियो में, एक प्रमुख रैंक के अधिकारी को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करने और चीन की सेना द्वारा अपने क्षेत्र के अंदर लगाए गए टेंट को हटाने का आदेश दिया गया था. हालाकि जब द प्रिंट द्वारा इस वीडियो के बारे में इंडियन आर्मी के बड़े अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि वीडियो की सत्यता का पता लगाना बाकी है.
हालांकि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बंदी बनाए गए सेना का वीडियो बनाना और उसपर जबरन कबूलनामा के लिए दवाब बनाना जेनेवा समझौता का सीधे-सीधे उल्लंघन नहीं है? क्या चीन अंतरराष्ट्रीय कानून की धज्जियां नहीं उड़ा रहा.
द प्रिंट के मुताबिक, वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि चीनी सैनिकों द्वारा पूछताछ के बाद पंजाब रेजिमेंट के अधिकारी को एक चीनी कैमरामैन की तरफ देखते देखा जा सकता है. वो पीएलए को इलाज के लिए धन्यवाद देते दिखाई दे रहे हैं. अधिकारी को उन 10 भारतीय सैनिकों में से एक बताया जा रहा है, जिन्हें चीन ने गलवान संघर्ष के बाद बंदी बना लिया था. 15 जून 2020 की झड़प के तीन दिन बाद बंदियों को रिहा कर दिया गया.
एक फिर चीन-भारत की सेना आमने सामने
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों के सैनिकों में 9 दिसंबर को हुई इस हिंसक में भारत ने चीन के करीब 300 से ज्यादा सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया. इस घटना में चीन के 20 सैनिक घायल हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक, चीन को भारी नुकसान हुआ है. हालांकि, बाद में दोनों सेनाओं के कमांडरों के बीच तनाव कम करने के लिए बातचीत हुई. तवांग में झड़प को लेकर पूर्वी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आर.पी कलिता (Rana Pratap Kalita) ने कहा कि चीन की तरफ से घुसपैठ की गई थी.
उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सीमा क्षेत्र स्थिर है और हम दृढ़ता से नियंत्रण में हैं. उन्होंने बताया कि PLA ने LAC को पार किया जिसके बाद विरोध में दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें आईं. इसका स्थानीय स्तर पर समाधान हुआ वहीं बाद बुमला में एक फ्लैग भी मीटिंग भी की गई. पूर्वी सेना कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता आगे बोले, स्थिति नियंत्रण में हैं.