नयी दिल्ली: चीन की तरफ से लगातार जारी किए जा रहे आक्रामक बयानों के बीच भारत ने कहा कि वह डोकलाम मुद्दे के ऐसे हल के लिये काम कर रहा है जो दोनों देशों को स्वीकार्य हो. वहीं भारत ने ये जानकारी भी दी कि भारत, चीन से कूटनीतिक संबंध बरकरार हैं और भारत ने भूटान के साथ भी तालमेल बनाए रखा है, हालांकि भारत-भूटान की बातचीत पर कोई प्रतिक्रिया या जानकारी नहीं दी गई है.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने डोकलाम से भारत के जवानों की संख्या 400 से घटाकर 40 किए जाने के चीन के दावे पर सीधा जवाब देने से इनकार करते हुए इसे अभियान से जुड़ा मामला करार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘यह अभियान से जुड़े मामले हैं, चाहे हमारी तरफ हों या उनकी तरफ से.’’


डोकलाम में भारत और चीनी सैनिकों के बीच टकराव को खत्म करते के लिये कूटनीतिक संबंधों को ही एक मात्र रास्ता मानने पर जोर देते हुये बागले ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लोकसभा में कल दिये गये बयान का ज़िक्र करते हुये कहा कि युद्ध ही मतभेदों को सुलझाने का एक मात्र विकल्प नहीं.


कूटनीति के जरिये शांति और संयम को हासिल करने के भारत के उद्देश्य पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि डोकलाम मुद्दे पर परस्पर स्वीकार्य समाधान (ऐसा हल जो दोनों देशों को स्वीकार्य हो) तलाशने के लिये चीन के साथ नयी दिल्ली कूटनीतिक माध्यमों के जरिये संपर्क में है और भूटान के साथ भी हम करीबी तालमेल बनाये हुये हैं.


क्या है मामला


बताते चलें कि विवादित क्षेत्र डोकलाम में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनातनी एक महीने से अधिक समय से चल रही है. भारत के लिए ये हिस्सा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. चीन यहां सड़क निर्माण करने में लगा हुआ था जिसपर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी ने लगाम लगा दिया.


वैसे तो ये विवाद सीधा चीन और भूटान के बीच है लेकिन भारत, भूटान का रक्षा सहियोगी रहा है और वहां चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार के आने के बाद डोकलाम और भारत-भूटान रक्षा संबंधों जैसे मसलों में बदलाव आने की संभावना है. इन्ही संभावित बदलावों का परिणाम है जिसकी वजह से भारत और चीन के फौजी डोकलाम में एक-दूसरे के सामने एक महीने से अधिक समय से मोर्चा संभाले हुए है.