कोरोना लॉकडाउन से अब दुनिया धीरे-धीरे बाहर निकल रही है. कोरोना के चलते जब पूरी दुनिया लॉकडाउन की वजह से घरों में कैद थी तो जहां एक तरफ उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा तो वहीं ऐसा देखा गया है कि इस दौरान तेजी के साथ पारिवारिक कलह के मामले सामने आए हैं. बांग्लादेश रूरल एडवांसमेंट कमेटी (बीआरएसी) की ताजा रिपोर्ट बांग्लादेश के लिए चिंता पैदा करने वाली है.


बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ आपराध के मामले या जेंडर बेस्ड क्राइम की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले पिछले दस महीनों में 24 फीसदी बढ़ गई हैं. वहीं बाल विवाह के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली प्रतिष्ठित एनजीओ BRAC ने पाया है कि कोविड-19 जैसी महामारी के फैलने के बाद से पिछले दस महीनों में उसके लीगल एड सर्विस सेल में 25000 से ज्यादा मामले आए हैं.


संस्था ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में बताया कि कोरोना काल में बाहर आने जाने में रोक और लॉकडाउन जैसी स्थितियों में भी महिलाओं के खिलाफ अपराध और जेंडर बेस्ड हिंसा के 25607 मामले दर्ज किए गए.


देश के विभिन्न इलाकों में संस्था की 410 लीगल एड क्लिनिक में ये मामले सामने आए. इनमें से 15,047 को आपसी बातचीत और वैकल्पिक तौर तरीकों से सुलझाए गए जबकि 3,239 पीड़ितों को कानूनी मदद मुहैय्या कराई गई. 1724 मामलों को सिविल और क्रिमिनल अदालतों तक पहुंचाया गया. दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में से करीब चालीस लाख डॉलर की वसूली की गई.


इसके साथ ही, पॉली समाज नाम की संस्था से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में पिछले साल की तुलना में 24% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. महिलाओं के हकों के लिए काम करने वाली यह संस्था बांग्लादेश के 64 में से 54 जिलों में सक्रिय है. इसके मुताबिक बाल विवाह के मामले इस दौरान 72 फीसदी बढ़े हैं.


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