अमेरिकी अखबार का बड़ा दावा- हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन बनाने वाली फ्रांस की कंपनी में ट्रंप के निजी हित
न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बनाने वाली फ्रांस की दवा कंपनी में कुछ निजी वित्तीय हित हैं.
न्यूयार्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को जोर-शोर से बढ़ावा दे रहे हैं और भारत से भी मलेरियारोधी दवा अमेरिका को देने के लिए कह चुके हैं. इस बीच मीडिया की एक खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति का फ्रांस की बड़ी दवा कंपनी सनोफी में "कुछ निजी आर्थिक हित हैं."
ट्रंप ने सोमवार को भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद अगर उनके देश को मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं किया गया तो इसे लेकर जवाबी कार्रवाई की जा सकती है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक पुरानी और बेहद कम मूल्य की (सस्ती) दवा है जिसका इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में होता है. राष्ट्रपति ट्रंप इसे कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभावी इलाज के रूप में देख रहे हैं. गौरतलब है कि अमेरिका में अभी तक वायरस संक्रमण से 10,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 3.6 लाख से ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है.
'न्यूयार्क टाइम्स' के मुताबिक अगर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को उपचार के लिए स्वीकार कर लिया जाता है तो कई दवा कंपनियों को फायदा होगा. इसमें राष्ट्रपति ट्रंप से जुड़े शेयरधारक और वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी भी हैं. ट्रंप का भी फ्रांस की दवा कंपनी सनोफी में थोड़ा निजी वित्तीय हित है. सनोफी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के ब्रांड संस्करण प्लाक्वेनिल नाम से दवा बनाती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जेनेरिक दवा बनाने वाली कई कंपनियां हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बनाने की तैयारी में है. इसमें भारतवंशी चिराग पटेल और चिंटू पटेल की एमनील फार्मस्यूटिकल कंपनी भी है.
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