नई दिल्लीः चीन से दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा अमेरिका को नुकसान पहुंचाया है. जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप चीन पर लगातार वार करते दिख रहे हैं. ट्रंप को कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' कहते हुए भी सुना गया. इस बीच अब राष्ट्रपति ट्रंप ने सख्त कदम उठाते हुए अमेरिका में चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है.
क्या है इस बैन की वजह?
ट्रंप का कहना है कि उन्होंने चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध रखने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं को देश में आने और किसी भी तरह की शिक्षा ग्रहण करने से रोक लगाई है. उनका कहना है कि अमेरिका से बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए चीन की पीएलए स्नातक छात्रों का इस्तेमाल कर रही थी. इसे रोकने के लिए उन्होंने यह सख्त कदम उठाया है.
हालांकि, माना जा रहा है कि चीन से फैली कोरोना वायरस की महामारी, हांगकांग में की गई बीजिंग की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका काफी नाराज चल रहा है. इससे तंग आकर डोनाल्ड ट्रंप ने यह कदम उठाया है.
शुक्रवार को घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा, ''चीन ने अपने विशाल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के आधुनिकीकरण के लिए संवेदनशील अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा का अधिग्रहण करने के लिए एक व्यापक रूप से अभियान में चला रखा है.''
अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार चीन की इन नीतियों को रोकना जरुरी है, अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो अमेरिका को आने वाले समय में आर्थिक शक्ति के रूप में काफी नुकसान हो सकता है. उनके मुताबिक, चीन की पीएलए बौद्धिक संपदा को बढ़ाने के लिए परास्नातक और शोधकर्ताओं का इस्तेमाल कर रही है. जिसे देखते हुए उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई या शोध करने के लिए 'एफ-1' या 'जे-1' वीजा मांगने वाले कुछ चीनी नागरिकों का प्रवेश को अमेरिका के हितों के लिए खतरनाक बताते हुए रोक दिया है.
ट्रंप के उठाए गए इस कदम पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, ''इस तरह के फैसले से दोनों के बीच आपसी रिश्ते काफी हद तक खराब हो सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह अमेरिका में चीनी छात्रों के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन न करें.''
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