डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका ने छोड़ा UN ह्यूमन राइट्स कमीशन का साथ
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की सदस्यता को अलविदा कह दिया है. पिछले साल ही अमेरिका ने यूएनएचआरसी पर इज़रायल को लेकर बुरी तरह से पक्षपाती होने के आरोप लगाए थे और कहा था कि अमेरिका इससे जुड़ी अपनी सदस्यता के बारे में सोच रहा है.
वॉशिंगटन: दुनिया भर को अचरज में डालने वाले फैसले में डोनाल्ड ट्रंप के शासन वाले अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की सदस्यता को अलविदा कह दिया है. अमेरिका के इससे बाहर होने के बाद यून में देश की स्थायी प्रतिनिधि निकी हेली ने कहा कि ढोंग करने और खुद के स्वार्थ को पूरा करने वाली ये बॉडी मानवाधिकारों का मज़ाक उड़ाती है.
पिछले साल ही अमेरिका ने दिए थे संकेत पिछले साल ही हेली ने यूएनएचआरसी पर इज़रायल को लेकर बुरी तरह से पक्षपाती होने के आरोप लगाए थे और कहा था कि अमेरिका इससे जुड़ी अपनी सदस्यता के बारे में सोच रहा है. आपको बता दें कि जिनेवा स्थित इस काउंसिल का गठन 2006 में हुआ था. तब से ही इसपर ऐसे आरोप लगते रहें कि मानवाधिकरों का गंभीर उल्लंघन करने वाले देशों को भी इसने सदस्यता दी है. हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष राजनयिक पोम्पिओ और हेली दोनों ने इसपर जोर दिया कि अमेरिका मानवाधिकारों की वकालत करने में सबसे आगे रहेगा.
हालांकि, हेली और पोम्पिओ का कहना है कि लंबे समय तक परिषद में सुधार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले राष्ट्रों की सदस्यता खत्म करने के प्रयासों के बाद अमेरिका ने यह फैसला लिया है. हेली ने कहा, ‘‘परिषद को मानवाधिकारों के प्रति गंभीर बनाने के लिए यह सुधार आवश्यक हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय से मानवाधिकार परिषद मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों का संरक्षक रहा है और राजनीतिक भेदभाव का गढ़ बना रहा है. दुख की बात है कि अब यह साफ हो गया है कि सुधार की हमारी अपील नहीं सुनी जा रही है.’’ निराश है यूएनएचआरसी अमेरिका के इस फैसले पर यूएनएचआरसी ने ट्वीट करते हुए अपने प्रमुख ज़ैद का बयान जारी किया और कहा कि इसे जानकार आश्चर्य नहीं हुआ लेकिन निराशा ज़रूर हुई. आगे कहा गया कि विश्व में मानवाधिकार के जो हालात है उन्हें देखते हुए अमेरिका को और मज़बूती से मानवाधिकारों का समर्थन करना चाहिए था, ना कि इससे पीछे हटना चाहिए था."Disappointing, if not really surprising, news. Given the state of #HumanRights in today's world, the US should be stepping up, not stepping back" -- UN Human Rights Chief #Zeid following USA decision to withdraw from U.N. Human Rights Council.#StandUp4HumanRights
— UN Human Rights (@UNHumanRights) June 19, 2018
वहीं, मानवाधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि अमेरिका का ये कदम मानवाधिकार को गहरा धक्का पहुंचाने वाला हो सकता है जिससे पूरी दुनिया को सदमा लग सकता है. निकी ने जब अमेरिका के यूएनएचआरसी से बाहर होने की घोषणा की तब उनके साथ सेकेरेट्री ऑफ स्टेट माइक पॉम्पियो भी मौदूज थे.
आपको बता दें कि हेली की इस घोषणा से पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक शीर्ष अधिकारी ने अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर इमिग्रेंट्स को उनके बच्चों से अलग करने की अमेरिकी नीति की आलोचना की थी.
परिषद का छोटा सा परिचय 5 मार्च, 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक नई मानवाधिकार परिषद् के गठन का प्रस्ताव पारित किया. इस 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद् ने 53 सदस्यीय मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया है. 9 जून, 2006 को परिषद् पहली बैठक हुई. मानवाधिकार परिषद् का काम किसी भी देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन का गहन विश्लेषण करना है.
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