ट्रंप ने जीतते ही चीन को दिया बड़ा झटका, माइक वाल्ट्ज को बनाया NSA, जानें क्यों ड्रैगन के लिए खतरनारक है ये कदम
Michael Waltz: डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया जो चीन के प्रमुख आलोचक हैं.
Trump chose Mike Waltz his National Security Advisor: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में हैं. उन्होंने चीन के खिलाफ अपनी रणनीति को और मजबूत करने के लिए रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है. वाल्ट्ज जो अमेरिकी सेना के सेवानिवृत्त ग्रीन बेरेट हैं. जानकारी के अनुसार वे चीन के प्रमुख आलोचकों में से एक रहे हैं. ऐसे में ट्रंप का ये कदम इस बात का संकेत है कि वे अपनी विदेश नीति को और आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं.
माइक वाल्ट्ज ने नेशनल गार्ड में कर्नल के रूप में अपनी सेवा दी है और उन्हें एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के खिलाफ एक सशक्त आलोचक के रूप में जाना जाता है. वे हमेशा अमेरिका को इस क्षेत्र में संभावित संघर्षों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं. वाल्ट्ज का अनुभव और विशेषज्ञता निश्चित रूप से ट्रंप प्रशासन की सुरक्षा नीति को एक नई दिशा देने में सहायक साबित हो सकते हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का महत्व
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एक बेहद महत्वपूर्ण पद है जो सीधे राष्ट्रपति को सलाह देने का कार्य करता है. इस पद के लिए सीनेट की पुष्टि की आवश्यकता नहीं होती जिससे इसे सीधे राष्ट्रपति की पसंद के अनुसार भरा जा सकता है. वाल्ट्ज के पास इस पद पर रहते हुए ट्रंप को प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर जानकारी देने और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी होगी. इस नियुक्ति से ये भी संकेत मिलता है कि ट्रंप अपनी रणनीति को और अधिक सशक्त और गतिशील बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
चीन के खिलाफ ट्रंप का नया रुख
माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने से यह स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन अब चीन को लेकर अपनी नीति को और कड़ा करने जा रहा है. चीन के खिलाफ पहले से ही अमेरिका ने कड़े कदम उठाए हैं और वाल्ट्ज के साथ इस मोर्चे पर और भी अधिक दबाव बनाने की संभावना है.
वाल्ट्ज का चीन के प्रति आलोचनात्मक रुख ट्रंप के दृष्टिकोण को और मजबूत कर सकता है और आने वाले समय में दोनों देशों के बीच रिश्तों में और खटास आने की संभावना है.
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