वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जितने अनोखे हैं, समास्याओं को लेकर उनका हल भी उतना ही अनोखा होता है. लेकिन एक मामले में तो उनके प्रशासन ने भी हद ही कर दी. स्कूलों में हो रही गोलीबारी पर ट्र्रंप ने एक पैनल का गठन किया था. पैनल ने स्कूलों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए वहां के लोगों को बंदूक देने की सलाह दी है. ओबामा के दौर के नियम बदलकर रिटार्यड लोगों को हथियार के साथ स्कूल में तैनात करने की वकालत की गई है.


पैनल ने उस मांग को ख़ारिज कर दिया जिसमें बंदूक ख़रीदन के लिए उम्र सीमा तय करने की बात की गई थी. 180 पन्नों की रिपोर्ट में उम्र सीमा की मांग को ख़ारिज करने के लिए ये तर्क दिया गया है कि स्कूलों पर हमला करने वाले हमलावर अपने परिवार और रिश्तेदारों से हथियार हासिल करते हैं. रिपोर्ट सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को हथियार देने की वकालत नहीं करती बल्कि ये भी कहती है कि कुछ परिस्थितियों में टीचरों को भी हथियार दिए जाने की दरकार है ताकि हमले की स्थिति में वो तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें.


पैनल का मानना है कि ऐसे दूर दराज के इलाकों के स्कूलों में जहां पुलिस का तुरंत पहुंचना मुश्किल है, वहां के टीचरों को हथियार देने से हमले की स्थिति से तुरंत निपटने में मदद मिल सकती है. रिपोर्ट का कहना है कि स्कूलों को रिटायर्ड आर्मी वालों और रिटायर्ड पुलिसकर्मियों को काम पर रखना चाहिए जिससे सुरक्षा तो मिलेगी ही, साथ ही वो ट्रेनिंग और शिक्षा देने का भी काम बड़ी अच्छी तरह से कर सकते हैं.


इसमें बराका ओबामा के दौर के नियमों पर पुनर्विचार की भी बात की गई है. इनके अनुसार अश्वेत लोगों के खिलाफ भेदभाव के मामलों में सस्पेंड करने और स्कूल से बाहर निकाले जाने जैसे नियम है. पैनल ने कहा है कि इस नियम का स्कूल के वातावरण पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. अमेरिकन सिविल यूनियन लिबर्टीज ने इसकी कड़ी निंदा की है. एक बयान में संस्था ने कहा, "स्कूल में हुई त्रासदी का सहारा लेकर ट्रंप प्रशासन भेदभाव के खिलाफ बच्चों को मिलने वाली सुरक्षा वापस लेना चाहता है. ये बावजूद इसके किया जा रहा है कि स्कूल में हुई शूटिंग को भेदभाव को जोड़ने को लेकर कोई साक्ष्य या तर्क मौजूद नहीं है."


1999 में हुए कोलंबिया हाई स्कूल नरसंहार के बाद से अमेरिका में अब तक 2,19,000 अमेरिका छात्र स्कूल संबंधित गोलीबारी में शामिल रहे हैं. ये आंकड़ा वॉशिंगटन पोस्ट ने दिया है. ऐसे में ट्रंप प्रशासन के और बंदूकों वाला हल कई सवाल खड़े करता है.


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