ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ का संकल्प दोहराया, कहा- ईरान परमाणु समझौता शर्मिंदा करने वाला
मेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ की राष्ट्रवादी नीति का संकल्प दोहराया और कहा कि सभी देशों को अपने हित में काम करना चाहिए, लेकिन साझा चुनौतियों का मिलकर सामना करना चाहिए.
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संयुक्त राष्ट्र: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ की राष्ट्रवादी नीति का संकल्प दोहराया और कहा कि सभी देशों को अपने हित में काम करना चाहिए, लेकिन साझा चुनौतियों का मिलकर सामना करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की बैठक में दिए अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने उस विश्व व्यवस्था को लेकर अपना नजरिया पेश किया जो बहुराष्ट्रीय गठजोड़ों की बजाय मजबूत ‘संप्रभु राष्ट्रों’ पर आधारित होगी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार का पहला कर्तव्य अपने लोगों के प्रति है, अपने नागरिकों के प्रति है, उनकी जरूरतों को पूरा करने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने, उनके अधिकारों को बनाए रखने और उनके मूल्यों की रक्षा करने के लिए है.’’ ट्रंप ने कहा कि सभी जिम्मेदार नेताओं का यह उत्तरदायित्व है कि वे अपने नागरिकों की रक्षा करें और मानव जीवन के हालात को बेहतर बनाने के लिए देशों को आगे होना चाहिए.
ईरान परमाणु समझौता शर्मिंदा करने वाला
ट्रंप ने ईरान परमाणु समझौते की आलोचना करते हुए इसे ‘शर्मिंदा करने वाला’ बताया. उन्होंने संकेत दिए कि वे या तो इस ऐतिहासिक समझौते को खत्म करना चाहते हैं या फिर इस पर दोबारा बातचीत करना चाहते हैं.
ट्रंप ने यूएन महासभा (UNGA) में कहा, ‘‘साफ शब्दों में कहें तो यह बड़ी शर्म की बात है कि यह समझौता किया गया." उन्होंने कहा, ‘‘विश्वास कीजिए अब समय आ गया है कि पूरी दुनिया हमारे साथ आए और मांग करे कि ईरान सरकार मौत और तबाही के तांडव को बंद करे.’’
जो रोहिंग्या को देश छोड़ने को कह रहे हैं, वो तिब्बत की निर्वासित सरकार पर क्या कहेंगे: उमर अब्दुल्ला
श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उन लोगों पर सवाल उठाया जो रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने को कह रहे हैं. उन्होंने वैसे लोगों से पूछा कि क्या वे तिब्बत की निर्वासित सरकार से भी भारत छोड़ने की मांग करेंगे? उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "इसलिये जो लोग भारत भारतीयों के लिये की लाइन का प्रचार कर रहे हैं, क्या वे तिब्बत की निर्वासित सरकार से भी भारत छोड़ने की मांग करने जा रहे हैं."
जम्मू कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता रोहिंग्या मुसलमानों को देश से निकालने की मांग का उल्लेख कर रहे थे. खासतौर पर इस मांग ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के उस हलफनामे के बाद जोर पकड़ा है जिसमें कहा गया था कि रोहिंग्या अवैध शरणार्थी हैं और उनका लगातार रहना 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये गंभीर प्रभाव' पैदा कर सकता है.
अब्दुल्ला ने लिखा, "दलाई लामा तब तक अपने अपनाए गए घर में अवांछनीय (Undesirable) पाए जाएंगे जब तक कि यह विदेशी लोगों को नापसंद करने की बात चुनिंदा नहीं हो."
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