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ट्रम्प ने एच1बी वीजा के नियम कड़े करने वाले शासकीय आदेश पर साइन किया, भारतीयों को होगा नुकसान
वॉशिंगटन: भारतीय आईटी इंडस्ट्री और प्रोफेशनल्स को एक झटका देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एच1बी वीज़ा कार्यक्रम के नियम कड़े करने के मकसद से एक शासकीय आदेश (executive order) पर साइन कर दिया ताकि इसके ‘गलत इस्तेमाल’ को रोका जा सके और तय किया जा सके कि वीज़ा ‘सबसे टैलेंटेड और सबसे ज़्यादा सैलरी पाने वालों’ को दिए जाएं. यह वीज़ा कार्यक्रम भारतीय आईटी कंपनियों और प्रोफेशनल्स में सबसे ज़्यादा फेमस है. ट्रम्प ने ‘अमेरिकी सामान खरीदें, अमेरिकियों को नौकरी दें’ के अपने वादे पर अमल करते हुए इस आदेश पर साइन किया.
इमिग्रेशन पॉलिसी के ग़लत इस्तेमाल पर लगेगी रोक: ट्रंप
ट्रम्प ने इस आदेश पर साइन करने से पहले विस्कॉन्सिन में कहा, ‘‘इस समय सभी बैकग्राउंड के अमेरिकी लोगों की जगह दूसरे देशों से लाए गए लोगों को कम वेतन देकर उन्हें नौकरी पर रख कर हमारी इमिग्रेशन पॉलिसी का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पर रोक लगेगी.’’ उन्होंने कहा कि यह आदेश ‘वीज़ा दुरुपयोग’ समाप्त करने के लिए ‘काफी समय से लंबित’ सुधार शुरू करने की दिशा में पहला कदम है.
ट्रम्प ने कहा, ‘‘इस समय, एच1बी वीज़ा पूरी तरह से ग़लत लॉटरी सिस्टम के जरिए दिए जाते हैं और यह ग़लत है. इसके बजाए ये सबसे टैलेंटेड और सबसे ज़्यादा वेतन पाने वाले वाले प्रोफेशनल्स को दिए जाने चाहिए और उनका इस्तेमाल कभी भी अमेरिकियों की जगह किसी अन्य को नौकरी देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. यदि अमेरिकी लोगों को उचित और समान मौके दिए जाएं तो कोई उनका मुकाबला नहीं कर सकता और दशकों से ऐसा नहीं हुआ है.’’ ट्रम्प ने कहा कि उनका प्रशासन ‘अमेरिकियों को नौकरी देने’ से जुड़े नियमों को लागू करेगा जो अमेरिका में लोगों की नौकरियों और उनकी सैलरी को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सबसे पहले अमेरिकियों को नौकरियां दी जानी चाहिए. क्या यही सही नहीं लगता है?’’
ट्रम्प ने कहा, ‘‘हम अब दूसरे देशों को फेडरल टेंडर के मामले में हमारी कंपनियों और हमारे लोगों के साथ धोखा नहीं करने देंगे. मेरे प्रशासन में हर किसी से उम्मीद की जाएगी कि वह अमेरिकी लोगों की ओर से ‘बाय अमेरिका’ (अमेरिकी उत्पाद ही खरीदें) को प्राथमिकात दें और हम इसे कमज़ोर करने वाले हर बिजनेस समझौते की जांच करेंगे.’’ शासकीय आदेश के अनुसार विदेश मंत्री, अटॉर्नी जनरल, लेवर मिनिस्टर और गृह सुरक्षा मंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारों का सुझाव देंगे कि एच1बी वीजा सबसे टैलेंटेड और सबसे ज़्यादा वेतन पाने वाले कैंडिडेट को दिया जाए.
अमेरिकी सांसदों ने इसे बहुत देर से लिया गया फैसला करार दिया
हालांकि ट्रम्प के इस शासकीय आदेश के तहत उठाए जाने वाले कदमों को कुछ अमेरिकी सांसदों ने बहुत कम बताया और इसे बहुत देर से लिया गया फैसला करार दिया. सीनेटर डिक डर्बिन ने कहा, ‘‘हम पहले से जानते हैं कि एच1बी वीजा के ग़लत इस्तेमाल से अमेरिकी कर्मियों को नुकसान होता है. कार्यक्रम की केवल समीक्षा करना बहुत कम है और यह बहुत देर से उठाया गया कदम है.’’ अमेरिकी सांसदों ने एच1बी वीजा प्रणालियों में सुधार के विशेष प्रस्तावों के साथ कांग्रेस में पहले ही छह से अधिक बिल पेश किए हैं.
ट्रंप ने शुरुआती 100 दिनों में कोई ख़ास काम नहीं किया: न्यूयॉर्क टाइम्स
लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार का कहना है कि ट्रम्प की घोषणा ऐसे समय में आयी है जब उनके पास अब तक के 100 दिन के अपने कार्यकाल में विधायी (executive) उपलब्धि के नाम पर दिखाने के लिए कुछ खास नहीं है. अखबार ने कहा, ‘‘और मुस्लिम बहुल देशों से इमिग्रेशन पर बैन लगाने के दो चर्चित कार्यकारी आदेशों (executive order) पर अदालतों ने रोक लगा दी.’’ इस शासकीय आदेश में यह भी घोषणा की गई है कि अमेरिकी परियोजनाएं अमेरिकी सामानों के जरिए ही पूरी की जानी चाहिए. अमेरिकी टेक्नॉलजी इंडस्ट्री और कॉरपोरेट सेक्टर ने एच1बी वीजा कार्यक्रम की इस ‘बेहद ज़रूरी’ समीक्षा का स्वागत किया है और भरोसा जताया है कि इससे उन्हें विश्वभर से टॉप टैलेंट को लाने में मदद मिलेगी. एच1बी वीजा प्रणाली में सुधार करना ट्रंप की चुनाव मुहिम के बड़े वादों में से एक था.
भारतीयों के ख़िलाफ़ भेदभाव करने वाले हैं नियम: नैसकॉम
कई अमेरिकी रिपोर्टों के अनुसार हर साल सबसे ज़्यादा एच1बी वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को मिलते हैं. भारत से सबसे ज़्यादा टैलेंटेड आईटी प्रोफेशनल्स हैं जिनकी सेवाएं अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक स्तर पर कंपटीशन देने में अहम भूमिका निभाती हैं. बिजनेस फेडरेशन नैसकॉम के अनुसार कई प्रस्ताव भेदभाव करने वाले हैं और इनमें भारतीय आईटी कंपनियों को निशाना बनाया गया है.
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विनोद बंसलवीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता
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